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शिवगंज-बेड़ा नदी में दोस्तों के साथ नहाने गए केसरपुरा गांव के प्रवीण मीणा को लापता हुए 55 दिन हो चुके हैं। उसके साथ क्या हुआ, इसका पता लगाने शिवगंज पुलिस संदिग्ध व्यक्तियों का पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए कोर्ट से पुलिस मामले में जिन्हें संदिग्ध मान रही है, उन्हें पॉलीग्राफी प्रशिक्षण केंद्र भेजेंगे। प्रदेश में यह केंद्र जयपुर में है।
दूरी के मान से अहमदाबाद नजदीक होने से इस टेस्ट की सुविधा है। टेस्ट की रिपोर्ट के आधार पर पुलिस आगे कार्रवाई करेगी। जांच अधिकारी ने पॉलीग्राफ टेस्ट प्रकिया प्रारंभ कर दी है, हालांकि इसे पूर्ण करने में महीना भर लगेगा। प्रवीण 3 दोस्तों के साथ घर से कार में सवार हो 18 सितंबर को बेड़ा नदी में नहाने निकला था। शाम को दोस्त तो घर लौट आए थे, लेकिन प्रवीण नहीं पहुंचा तो बड़े भाई नारायणलाल मीणा ने दोस्तों के घरपहुंचकर प्रवीण की जानकारी मांगी। दोस्तों ने बताया था कि वह नदी में डूब गया। नारायणलाल ने 22 सितंबर को दोस्तों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया था। सीसीटीवी फुटेज खंगाले और डॉग स्क्वायड को नदी व संभावित जगहों पर ले जाया गया। नदी में मगरमच्छ है और पानी का तेज बहाव होने के चलते गोताखोरों की विशेष टीम बुलाई थी। कई दिनों तक नदी में ढूंढने के बाद भी प्रवीण कुमार को पता नहीं लग पाया।
परिवारजनों व मीणा समाज के लोगों ने 28 अक्टूबर को थाने के प्रदर्शन कर आक्रोश जताया था। डीएसपी पुष्पेंद्र वर्मा व थानाधिकारी बाबूलाल राणा ने संदिग्ध का पॉलीग्राफ टेस्ट करवाने का आश्वासन देते हुए कहा था कि न्यायालय से अनुमति लेनी की प्रक्रिया जारी है। आवेदन कर चुके हैं। अब कोर्ट से पॉलीग्राफ टेस्ट की अनुमति मिल चुकी है। प्रवीण कुमार के मामले में जिले में यह पहला पॉलीग्राफ टेस्ट होगा। पॉलीग्राफ परीक्षण (या पॉलीग्राफ विशेषज्ञ) वर्तमान में दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद, चेन्नई, कोलकाता, सूरत, पूणे, जयपुर और चंडीगढ़ में है।
पॉलीग्राफ टेस्ट के होते हैं तीन चरण, इसी के आधार पर तैयार होती रिपोर्ट
प्री टेस्ट इंटरव्यू : परीक्षक मामले की जानकारी एकत्रित करते हैं और संदिग्ध को समझाइया जाता है कि पॉलीग्राफ टेस्ट कैसे काम करता है। संदिग्ध से सामान्य प्रश्न पूछे जाते हैं, ताकि प्रतिक्रिया के पैटर्न समझ सके। परीक्षक व्यक्ति को परीक्षण के दौरान पूछे जाने वाले प्रासंगिक प्रश्नों के बारे में भी बताता है।
परीक्षणः संदिग्ध के छाती के चारों ओर एक ट्यूब ( (न्यूमोग्राफ) सांस मापने के लिए लगाया जाता है। हाथ पर ब्लड प्रेशर कफ हृदय संबंधी गतिविधि की निगरानी के लिए और त्वचा पर इलेक्ट्रोड पसीने मापने के लिए लगाया जाता है। इसके बाद फिर से प्रश्न पूछता है, जिनमें नियंत्रण प्रश्न (जो व्यक्ति के सामान्य जीवन से संबंधित होते हैं) और प्रासंगिक प्रश्न (जो संबंधित हैं) शामिल रहते हैं। व्यक्ति की प्रतिक्रियाओं को कंप्यूटर पर रिकॉर्ड करता है।
पोस्ट टेस्ट इंटरव्यू: परीक्षण के बाद परीक्षक परिणामों का विश्लेषण करते हैं। परीक्षक व्यक्ति से परिणामों पर चर्चा कर सकता है। आवश्यक हो तो पूछताछ करते हैं। इस चरण में परीक्षक व्यक्ति को उसकी बात के लिए स्वीकार के लिए प्रेरित किया जा सकता है।
