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बाड़मेर-बाड़मेर रेलवे स्टेशन से 500 मीटर दूर मुनाबाव जाने वाले ट्रैक पर पिलर नंबर 835 के पास भीषण ट्रेन हादसा हुआ है। ट्रेन डिरेल हो चुकी है और डिब्बों पर डिब्बे चढ़ गए हैं। कई यात्री घायल हैं।’
मंगलवार सुबह 10.08 बजे ट्रेन हादसे के इस इमरजेंसी कॉल ने सभी के होश उड़ा दिए। फौरन करीब 300 जवान-अधिकारी और स्पेशल रिलीफ ट्रेन से बचाव राहत दल मौके पर पहुंचे। घायलों को तुरंत हॉस्पिटल लेकर गए।
यह कोई ट्रेन हादसा नहीं, बल्कि मॉक ड्रिल थी। जो किसी भी हादसे की स्थिति से निपटने के लिए अभ्यास था। जोधपुर रेल मंडल की ओर से बाड़मेर रेलवे स्टेशन पर मंगलवार सुबह 11 बजे रेस्क्यू अभियान शुरू हुआ। करीब पौने दो घंटे चले अभ्यास के लिए एक्सीडेंट का खास सेटअप तैयार किया गया था।
लोको पायलट ने दी हादसे की सूचना
जोधपुर रेल मंडल प्रबंधक एडीआरएम राकेश कुमार खराड़ी ने बताया- ट्रेन हादसे में 2 की मौत और 18 यात्रियों के घायल होने की सूचना प्रसारित की गई।
खराड़ी ने बताया- हादसा हो या मॉक ड्रिल, लोको पायलट ही कंट्रोल रूम को सबसे पहले सूचना देता है। इस मॉक ड्रिल में भी लोको पायलट ने जोधपुर रेलवे कंट्रोल रूम को सूचना दी।
लोको पायलट ने कहा कि मैं बाड़मेर-मुनाबाव पैसेंजर ट्रेन (04881) लेकर जा रहा हूं। बाड़मेर रेलवे स्टेशन पर हादसा हो गया है।
जोधपुर कंट्रोल रूम से सूचना संबंधित स्टेशन मास्टर को दी गई। स्टेशन मास्टर ने जिला प्रशासन सहित सभी विभागों को सूचना दी। इसके बाद रेस्क्यू टीमें मौके पर पहुंचीं।
रिलीफ ट्रेन से पहुंचे बचाव राहत दल, कंट्रोल रूम बनाया हादसे की सूचना पर स्पेशल रिलीफ ट्रेन से बचाव राहत दल मौके पर पहुंचे। सभी अधिकारी भी पहुंचे। मौके पर ही कंट्रोल रूम बनाया गया। घायल यात्रियों की सूची तैयार की गई। रिलीफ ट्रेन से यात्रियों को हॉस्पिटल और अन्य स्टेशन की ओर भेजने का अभ्यास किया गया।
घायलों को मौके पर राहत देने के लिए डॉक्टर्स और मेडिकल टीमें तैनात की गईं। इनमें रेलवे मंडल अस्पताल के साथ ही निजी हॉस्पिटल्स का मेडिकल स्टाफ भी मौजूद रहा। इसमें 5 डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ थे। मेडिकल टीमों ने सीपीआर देने से लेकर घायल यात्रियों के प्राथमिक उपचार की ट्रेनिंग की।
राष्ट्रीय आपदा राहत बल (एनडीआरएफ) टीम और बचाव राहत दलों ने घायल यात्रियों (डमी) को बचाने का रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया।
यह जाना कि फंसे हुए यात्रियों को कैसे निकालें एडीआरएम राकेश कुमार खराड़ी ने बताया- यह मॉक ड्रिल रेलवे की ओर से कंडक्ट किया गया है। इसमें छठी बटालियन एनडीआरएफ (आरआरसी, किशनगढ़) का सहयोग रहा। अभ्यास में 20 टीमों ने हिस्सा लिया। करीब 300 जवान और अधिकारी मौके पर मौजूद रहे।
” ड्रिल के जरिए हमने जाना कि कैसे हम यात्रियों को मुश्किल जगहों पर फंसे होने के बाद निकाल सकते हैं।
एसडीआरएफ, रेलवे पुलिस टीम, राजस्थान पुलिस, मेडिकल टीम, सिविल डिफेंस टीम, बीएसएफ आदि सभी ने यह दिखाया कि कैसे हम ऐसी घटनाओं से डील कर सकते हैं। सभी ने अच्छा काम किया। इससे यह पता चलता है कि अगर ऐसी आपदा आई तो हमें किससे क्या सहयोग लेना है।
रिस्पॉन्स टाइम और इक्विपमेंट चेक किया
एनडीआरएफ राजस्थान इंचार्ज (RRC, किशनगढ़) योगेश कुमार मीना ने बताया- आज समान पात्रता परीक्षा (CET) थी, लेकिन फिर भी प्रशासन ने बढ़-चढ़ कर इसमें भाग लिया। हमने रिस्पॉन्स टाइम और उपकरणों को चेक किया। रणनीति बनाकर लोगों को बचाने का अभ्यास किया।
“ मॉक ड्रिल इसलिए कराई जाती है कि कोई बड़ा हादसा हो तो सभी एजेंसियां मिलकर उस पर जल्दी से जल्दी एक्शन कर सकें।
इन्हीं बातों को ध्यान में रख कर मॉक ड्रिल किया है। इससे पहले जोधपुर में रेलवे के साथ मिलकर मॉक ड्रिल किया था। अब की बार बाड़मेर में किया है। अलग-अलग जगह मॉक ड्रिल इसलिए करते हैं ताकि वहां का प्रशासन सजग रहे और किसी भी हादसे से निपटने के लिए तैयार रहे।
दो डिब्बों से तैयार किया सेटअप
रेलवे के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार- बाड़मेर रेलवे स्टेशन के पिलर नंबर 835 के पास एक्सीडेंट का खास सेटअप तैयार किया गया था। इसमें दो डिब्बे यूज किए गए। डिब्बों को क्रेन से डिरेल किया गया। एक डिब्बा पटरी पर आड़ा-तिरछा रखा गया।
दूसरे डिब्बे को क्रेन की मदद से ऊपर चढ़ाया गया। देखने पर लग रहा था सच में भीषण एक्सीडेंट हो गया है। यह इसलिए किया गया कि ऊंचाई पर फंसे घायल यात्रियों को किस तरह निकाला जा सकता है। इसके लिए NDRF की टीम ने खिड़कियां काटने और रोप-वे बनाकर स्ट्रेचर पर घायलों को निकालने का अभ्यास किया।
खिड़कियां काटकर घायल यात्रियों को रेस्क्यू करने का अभ्यास
NDRF-SDRF सहित बचाव राहत दल में शामिल अन्य टीमों ने ट्रेन में फंसे यात्रियों को मेडिकल कैंप तक लाने की प्रैक्टिस की। एक कोच पर चढ़े दूसरे कोच से पैसेंजर को बाहर निकालने के लिए खिड़कियों को कटर से काटने का अभ्यास किया।
ऊपर वाले कोच पर रस्सी से बांधकर रोप-वे बनाया गया। इस पर स्ट्रेचर लगाया गया। घायल यात्री को स्ट्रेचर पर ग्राउंड पर लाने की प्रैक्टिस की गई। इसके अलावा यात्रियों को कैसे रस्सी के सहारे धरातल पर सुरक्षित लाया जा सकता है, इसका अभ्यास किया गया।
टीमों ने यह जानकारी भी दी कि आपातकालीन स्थिति में सहायता न मिले तो कैसे खुद अपनी और अपने साथी यात्रियों की मदद की जा सकती है।
ये टीमें रहीं अभ्यास में शामिल
अभ्यास में एनडीआरएफ के 2 अधिकारी (कमांडेंट और डिप्टी कमांडेट), 40 जवान, एसडीआरएफ के 1 अधिकारी और 10 जवान शामिल थे। इसके अलावा बीएसएफ के कर्नल सहित 10 जवान थे। सिविल डिफेंस की लोकल टीम थी। रेलवे सिविल डिफेंस के 25 जवान थे। इसके अलावा आरपीएफ और जीआरपी के जवान थे।
मॉक ड्रिल के दौरान बाड़मेर एसपी नरेंद्र सिंह मीना, एडीएम राजेंद्र सिंह चांदावत, एसडीएम वीरमाराम, एएसपी जसाराम बोस, डिप्टी रमेश कुमार शर्मा और 5 थानों के एसएचओ पुलिस जाब्ते के साथ मौजूद थे।