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बाड़मेर-राजस्थान में करीब 550 साल पुराने एक मठ में मठाधीश की गद्दी को लेकर विवाद पैदा हो गया है। एक पक्ष ने पुलिस से अपने मठाधीश को सुरक्षा देने की मांग की है। वहीं दूसरे पक्ष का दावा है कि शिष्य ही गुरु की गद्दी संभालता है, इसलिए वहीं मठाधीश है। उत्तराधिकार को लेकर चल रही खींचतान सीएम, प्रभारी मंत्री और जिला प्रशासन तक पहुंच गई है।
दरअसल, बालोतरा के समदड़ी स्थित खरंटिया मठ पर मठाधीश को लेकर काफी दिनों से विवाद चल रहा है। पीर किशन भारती के देव लोक गमन के बाद यहां निरंजन भारती को मठाधीश बनाया गया था। लेकिन इसके कुछ दिन बाद कुछ लोगों ने बुद्ध भारती को मठाधीश घोषित कर दिया।
श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा के संतों और क्षेत्र के लोगों ने सरकार से मांग की है कि इस विवाद में दखल देकर अनधिकृत रूप से बैठे मठाधीश को हटाया जाए। साथ ही मठाधीश निरंजन भारती को सुरक्षा प्रदान की जाए। बता दें कि मठ श्रीपंच दश नाम जूना अखाड़ा से संबद्ध है और क्षेत्र में 36 कौम के लिए पूजनीय माना जाता है। फिलहाल मठ के अधीन करीब 600 बीघा जमीन है और करोड़ों रुपए की संपत्ति है। वहीं राजस्थान, उत्तर प्रदेश समेत देश- विदेश में मठ के अनेक अनुयायी है।
सीएम को लिखी चिट्ठी, निरंजन भारती को बताया सोल ट्रस्टी पंचनाम जूना अखाड़ा के राष्ट्रीय सचिव, प्रयागराज कुंभ मेला के प्रभारी मोहन भारती के नेतृत्व में प्रबुद्ध जन सीएम, जिला प्रभारी मंत्री जोराराम कुमावत और जिला कलेक्टर को मिलकर चिट्ठी दे चुके है। वहीं उत्तराधिकारी महंत निरंजन भारती की ओर से ज्ञापन भी दिया गया है। जिसमें बताया- मठ खरंटिया देवस्थान विभाग में रजिस्टर्ड ट्रस्ट है। निरंजन भारती इसके सोल ट्रस्टी है। दिवंगत पूर्व महंत किशन भारती ने 9 मई 2024 को निरंजन भारती को मठ का उत्तराधिकारी घोषित कर वसीयतनामा लिखवाई थी।
चिट्ठी में लिखा- जबरन घुसे लोग, धमकाया चिट्टी और ज्ञापन में बताया कि संतों की मौजूदगी में उत्तराधिकारी ने दिवंगत महंत को समाधि दी। इस दौरान 16 अगस्त को कुछ लोग वाहनों में सवार होकर खरंटिया मठ पहुंचे। मठ में जबरदस्ती अवैध कब्जा करने को लेकर अनधिकृत प्रवेश किया। मना करने पर मठ में खड़े लोगों को धमकाया गया। जबकि सोल ट्रस्टी की बगैर अनुमति के मठ में कोई अनधिकृत प्रवेश नहीं कर सकता है। ना ही वहां ठहराव कर सकता है। मठ में अवैध कब्जा जमाने के खिलाफ सरकार और प्रशासन से आवश्यक कार्रवाई करने और सुरक्षा उपलब्ध करवाने की मांग की गई है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् के अध्यक्ष महंत रविंद्रपुरी महाराज ने भी सीएम को चिट्ठी सौंपकर मामले में दखल देने की मांग की है। शंकराचार्य की मौजूदगी में घोषित किया था उत्तराधिकारी दशनाम जूना अखाड़ा के मोहन भारती का कहना है कि ब्रह्मलीन किशन भारती जी जब जीवित थे। तब उन्होंने पूरे अखाड़े के साधु संतों और ग्रामीणों को बुलाकर एक सम्मेलन जूना अखाड़े के शंकराचार्य की उपस्थिति में करवाया था। उस समय में वृद्ध अवस्था का हवाला देते हुए कहा था कि निरंजन भारती को चार-पांच साल पहले ओंकार भारती से गोद ले लिया था। इस मठ को चलाने के लिए कोई शिष्य योग्य नहीं लग रहा है। इसके कारण 5-6 साल से मेरे साथ रहे रहे निरंजन भारती को मठ का उत्तराधिकारी बनाना है।
मठाधीश बोले- पीर किशन भारती ने सौंपा दायित्व खरंटिया मठ के उत्तराधिकारी निरंजन भारती ने बताया- महंत किशन भारती महाराज ने उन्हें अपने जीवनकाल में उत्तराधिकारी और शिष्य बनाया था। सांधु-संतों और पूरी जनता के सामने घोषणा की। उत्तराधिकारी को लेकर जो डॉक्यूमेंट बना है, वह भी मेरे पास है, इसलिए मामले में दूसरे पक्ष के खिलाफ उचित कार्रवाई होनी चाहिए।
नए उत्तराधिकारी का दावा- परंपरा के तहत शिष्य ही बनता है मठाधीश
वहीं उत्तराधिकारी का दावा करने वाले बुद्धभारती का कहना है- पहले यहां पर नहीं था, लेकिन आता-जाता रहता था। जिस समय इनको (निरंजन भारती) मठ संभालाया गया था। तब हमें कोई सूचना नहीं दी थी। उस अखाड़े के संत महात्मा थे। हमने वीडियो में देखा था। लेकिन हमारे कोई सूचना नहीं दी थी। परंपरा तो यह कहती है कि शिष्य को ही उत्तराधिकारी माना जाता है, इसके तहत हम ही मठाधीश है।
पूर्व विधायक बोले- बुद्ध भारती का मठ में बैठना शरारत पूर्ण
काम पूर्व विधायक कानसिंह कोटड़ी ने बताया- महंत जी जिन्होंने हाल ही के दिनों में समाधी ली है, उनके द्वारा ह निरंजन भारती को नियुक्ति दी गई। हम सभी 36 कौम के अनुसार अब वे ही हमारे महंत है। कुछ लोगों की ओर से बुद्ध भारती जी को बैठाया गया है, जो वास्तव में शरारत पूर्ण काम है। ग्रामीण खीवसिंह राजपुरोहित ने बताया- हम सभी लोग यहीं चाहते है कि किशन भारती जी ने निरंजन भारती को उत्तराधिकारी बनाया है और उनका निर्णय सही है।
मठ को मानते हैं जोधपुर के पूर्व राजदरबार का गुरुद्वारा 1459 में जोधपुर में मेहरानगढ़ गद्दी की स्थापना के साथ ही 90 किमी दूर समदड़ी में खरंटिया मठ की भी नींव रखी गई थी। जोधपुर की स्थापना करने वाले राव जोधा पर यहां के महाराज जोगेंद्र भारती का ऐसा प्रभाव था कि वे उन्हें अपना गुरु मानने लगे थे। जोधपुर दरबार ने उन्हें महाराजाधिराज की उपाधि दी थी। इस मठ को जोधपुर के पूर्व राजदरबार का गुरुद्वारा कहा जाता है। मठ के अनुयायियों ने श्रद्धा के अनुसार दान भी दिया। वक्त के साथ-साथ मठ की संपत्ति बढ़ती गई।
खंरटिया मठ के वकील कुलदीप सिंह का कहना है- राजस्व रिकार्ड से पता लगा रहे है कि मठ की कितनी जमीन है। पटवारी से बात करने पर हमारे सामने अभी तक 500-600 बीघा जमीन सामने आई है। मठ 10-11 बीघा जमीन पर बना है।