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बाड़मेर-बालोतरा जिले में सदियों से समंदर हिलोरने की परंपरा सोमवार को भी निभाई गई। कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर समदड़ी कस्बे के मामाजी तालाब पर सुहागिन महिलाओं ने उनके भाई के साथ समंदर हिलोरा किया। भाई बहन को पानी पिलाकर व्रत खुलवाते है। बहन भाई की लंबी उम्र की कामना करती है और भाई रक्षा करने का वचन देता है।
दरअसल, सदियों पुरानी भाई-बहन की हिलोर परंपरा ग्रामीण अंचलों में आज भी निभाई जाती है। रक्षाबंधन का पर्व पर नाग देवता व क्षेत्रपाल खेतलाजी को घुघरी मातर व प्रसादी का भोग लगाने के साथ अच्छी बारिश की कामना की जाती है। उसके बाद तीज से यह परंपरा शुरू होती है। कई तालाबों पर समंदर हिलोरने की परंपरा का भी निर्वहन किया जाता है।
सोमवार को समदड़ी गांव में मामा जी मंदिर नाडी तालाब पर 150 से अधिक सर्वसमाज के भाई-बहनों ने एक साथ समंदर हिलोरने की रस्म निभाई। तालाब में खड़े होकर पहले समंदर हिलोरा गाया। इसके बाद बहनों को भाइयों ने चुनरी ओढ़ाकर बाहर निकाला। इससे पहले समंदर मंथन के लिए बड़ी संख्या में लोग तालाब पर पहुंचे और दशकों पुरानी परंपरा को निभाया। इससे समाज की महिलाएं पारंपरिक परिधानों से सज-धन कर समूह में लोक संस्कृति से जुड़े गीत गाते हुए तालाब पर पहुंची।
ओ म्हारा सासुजी समंदरियों हिलोरा खाए.. के गीत गाए
इससे पूर्व महिलाओं ने विभिन्न परिधानों पर सज-धज कर तालाब के चारों ओर परिक्रमा लगाते हुए विभिन्न गीत गाए। उन्होंने ओ म्हारा सासुजी समंदरियों हिलोरा खाए, जेठ-आषाढ़ वरिया-वरिया, वीरा दल बादल उजले आदि गीतों का संगान कर पुरानी परंपरा निभाई। भाई ने बहिनों को चुनरी ओढ़ाकर अपने हाथ से तालाब का पानी पिलाया। मंथन दौरान भाइयों ने बहिन के ससुराल में सुख समृद्धि व रक्षा का संकल्प दोहराया। वहीं नेक उपहार भेंट किए। बहनों ने भाई की लंबी उम्र की कामनाएं की। इसके बाद घरों में विभिन्न कार्यक्रमों व भोज का आयोजन हुआ। इससे पूर्व महिलाएं ने पूरे दिनभर व्रत रखा। इसके बाद अपने घर से सांकलियों से भरा मटका लेकर तालाब पर पहुंची।