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बाड़मेर-जोधपुर रेंज की साइक्लोनर टीम ने राजस्थान में नशे का कारोबार चलाने वाले भगोड़े को गिरफ्तार किया है। यह वांटेड ट्रेन में सफर करने वाले यात्रियों का फोन इस्तेमाल कर गुर्गों को डायरेक्शन देता और नेटवर्क चलाता था। इसी के चलते यह पुलिस के सर्विलांस से बच रहा था। इस शातिर प्रकाश चाहर (35) को गुजरात के नवसारी से पकड़ कर शनिवार को गिरफ्तार कर लिया गया।
बाड़मेर जिला मुख्यालय पर पुलिस लाइन में रेंज आईजी विकास कुमार ने शनिवार को खुलासा किया। बताया- बाड़मेर के सदर थाना इलाके के बलाऊ गांव का रहने वाला प्रकाश चाहर मारवाड़ (जोधपुर, पाली, जालोर) में अफीम-डोडा की तस्करी और सप्लाई का किंगपिन है।
वह राजस्थान के टॉप-25 बदमाशों में शामिल तस्कर है। इस पर 40 हजार का इनाम था। प्रकाश चाहर दिन में लकड़ी का काम करता था। रात में वह नशे का कारोबार संभालता था।
6 साल से फरार था, ऑपरेशन तमस चलाया
रेंज आईजी ने कहा- प्रकाश 6 साल से फरार था। पुलिस ने ऑपरेशन तमस चलाकर 3 महीने में 1000 किलोमीटर तक उसका पीछा किया। गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान में अलग-अलग लोकेशन पर रहकर वह मारवाड़ इलाके में नशे का कारोबार चला रहा था। आरोपी को जब भी अपने गुर्गों को निर्देश देने होते थे, तो वह लोकल ट्रेन में चढ़ता। इसके बाद सवारियों से रिक्वेस्ट कर उनका मोबाइल लेता और अपने लोगों से संपर्क कर उन्हें निर्देश देता।
इस तरह वह नशे के कारोबार को संभाल रहा था। काम होने के बाद ठिकाना बदल देता था। मुंबई में रहने के दौरान उसने घरों में इंटीरियर करने की आड़ में नशे का कारोबार किया।
पुलिस को छका रहा था, ऑपरेशन तमस चलाया
जोधपुर रेंज आईजी विकास कुमार ने कहा- साइक्लोनर टीम ने अब तक 40 किंगपिन को पकड़ा है लेकिन प्रकाश चाहर चुनौती बना हुआ था। वह 12 साल से नशे का कारोबार चला रहा था। उसके खिलाफ जालोर, सिरोही, जोधपुर कमिश्नरेट और बाड़मेर में कुल 7 मुकदमे दर्ज हैं।
रेंज आईजी विकास कुमार ने कहा- प्रकाश ने 12 साल पहले उदयपुर में एक रिश्तेदार के साथ मिलकर लकड़ी के कारोबार से करियर शुरू किया था। इसके एक साल बाद उसने मार्बल का काम किया। इस दौरान उसे अफीम और डोडा-चूरा की लत लग गई। उसने नशे की तस्करी के जरिए अमीर बनने के सपने देखना शुरू कर दिया।
नशे के काम में पैर जमाने के लिए वह 11 साल पहले उदयपुर से निंबाहेड़ा (चित्तौड़गढ़) में शिफ्ट हो गया। वहां वह डोडा-पोस्त और अफीम इकट्ठा करने लगा। इसे वह अपने गुर्गों के जरिए मारवाड़ में सप्लाई करने लगा। धीरे-धीरे वह वहीं से पूरे मारवाड़ इलाके में अफीम और डोडा-चूरा की सप्लाई का सरगना बन गया।
2 महीने पहले प्रकाश चाहर के निंबाहेड़ा स्थित ठिकाने पर साइक्लोनर पुलिस ने रेड डाली। वह छत से कूदकर बाइक से फरार हो गया था। इसके बाद वह मुंबई भाग गया।
साले से पूछताछ की तो मिला मुंबई का इनपुट
रेंज आईजी विकास कुमार ने कहा- साइक्लोनर टीम लगातार आरोपी प्रकाश को ट्रैक करती रही। साले से मिले क्लू के आधार पर 20 दिसंबर को महाराष्ट्र के भायंदर पहुंची। वहां पर करीब 15 दिन रही। फिर 10 जनवरी को गुजरात के नवसारी पहुंची।
वहां टीम के जवान कारपेंटर बनकर कारखानों में नौकरी की खोज करने लगे। नवसारी की बिल्ली मोरा इलाके में एक दुकान पर लकड़ी का काम खोजते हुए पुलिसकर्मी पहुंचा तो एक कारीगर मिला। उसने पुलिसकर्मी से कहा कि तुम्हें अपने मालिक से मिलाता हूं। कारीगर पुलिसकर्मी को लेकर प्रकाश चाहर के पास पहुंचा। कहा ये हमारे मालिक हैं। इनसे काम ले सकते हैं। 5 दिनों तक कड़ी मशक्कत करने के बाद आखिरकार आरोपी प्रकाश को पकड़ा जा सका।
ऑपरेशन का नाम इसलिए रखा तमस
रेंज आईजी विकास कुमार ने बताया- अभियान का नाम ऑपरेशन तमस रखा। क्योंकि नशे के जहर से लोगों के जीवन में अंधेरा फैला रहा था। विडंबना थी कि तस्कर का नाम प्रकाश था। प्रकाश दूसरों के जीवन में अंधेरा न फैलाए, इसलिए अभियान का नाम ऑपरेशन तमस रखा।