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अलवर शहर के हनुमान चौराहा के निकट गोविंद नगर निवासी 19 वर्षीय की सार्थिका भारद्वाज ने अपने ताऊ को लिवर ट्रांसप्लांट कर साहसिक कार्य किया है। साथ ही उन युवाओं के लिए मिसाल पेश की है जो परिवार में माता-पिता व बुजुर्गों को अपने हाल पर छोड़कर दूर चले जाते हैं और फिर कभी नहीं आते। सार्थिका जीडी कॉलेज में प्रथम वर्ष की छात्रा है। ट्रांसप्लांट के बाद ताऊ मनीष भारद्वाज व सार्थिका पूरी तरह से स्वस्थ हैं।
लक्ष्मीकांत ने खुद का शरीर दान करने की घोषणा की है
अलवर के गोविंदगढ़ के रामबास गांव निवासी 80 साल के रिटायर्ड अधिकारी (डिप्टी रजिस्ट्रार कॉपरेटिव सोसायटी) लक्ष्मीकांत शर्मा ने खुद का पूरा शरीर दान करने की घोषणा की है। इससे प्रेरणा लेकर सार्थिका ने लिवर ट्रांसप्लांट करवाने का निश्चय लिया। पिता कमल भारद्वाज व चाचा शिक्षा क्षेत्र से जुड़े हुए हैं और गोविंदगढ़ के पास रामबास में आईटीआई कॉलेज व स्कूल चलाते हैं।
संयुक्त परिवार में एक ही चूल्हे पर बनता है खाना
सार्थिका बताती हैं कि हम सब संयुक्त परिवार में रहते हैं। हमारे परिवार में 13 लोग हैं, जो सभी एक साथ रहते हैं। हमारा खाना भी एक ही रसोई में बनता है। हम सभी बहुत प्यार से रहते हैं। ताऊजी के बीमार होने पर हम सभी परेशान थे।
सार्थिका ने बताया कि ताऊजी मनीष भारद्वाज को वर्ष 2017 में पीलिया होने पर लिवर में इन्फेक्शन हो गया था, जो सही नहीं हो पाया। तब से उनका दिल्ली के दुर्लभजी अस्पताल में इलाज चल रहा था, लेकिन ज्यादा फायदा नहीं हुआ। डॉक्टरों ने कहा कि जीवनदान देने के लिए लिवर ट्रांसप्लांट जरूरी है।
इसके लिए करीब 20 लाख का खर्चा होगा। इसके बाद घर के सभी सदस्यों ने लिवर जांच कराई, लेकिन किसी का भी लिवर मैच नहीं हुआ। मैं अपने ताऊजी से बहुत प्यार करती हूं। शायद इसलिए भगवान ने मेरी सुन ली और मेरा लिवर मैच हो गया। पिछले माह 5 जुलाई 2024 को इंस्टीटयूट ऑफ लिवर एंव वैलरी सेंटर छतरपुर दिल्ली में लिवर ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया हुई।
समाज ने किया बालिका का सम्मान
अलवर जिला ब्राह्मण सभा युवा प्रकोष्ठ व पटरी पार ब्राह्मण समाज ने इस नेक कार्य के लिए सार्थिका, उनकी मां अरुणा भारद्वाज और पिता कमल भारद्वाज का सम्मान किया है।