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अलवर। साइबर ठग ठगी के जरिये तो लोगों को परेशान कर ही रहे हैं लेकिन इससे ज्यादा वे लोग परेशान हो रहे हैं जिनके बैंक खातों में ठगी की रकम आ गई है। ऐसे में विभिन्न राज्यों की पुलिस उनके खाते सीज कर रही है। सीज खातों को खुलवाना क्या व्यापारी क्या आमजन, सभी के लिए लोहे के चने चबाना साबित हो रहा है। अलवर में हाल में ऐसे ही मामले सामने आए हैं। लोगों के खाते सीज किए जा रहे हैं। हालांकि उन्होंने ऐसा कोई भी लेन-देन नहीं किया है, जिससे उनके खाते में ठगों की राशि क्रेडिट हुई हो।
आजकल लोगों ने अपने बैंक खातों को फोन-पे, गूगल-पे, पेटीएम या फिर नेट बैंकिंग से जोड़ा हुआ है। लोग अपने करंट या सेविंग खातों से पैसे का ऑनलाइन आदान-प्रदान करते हैं। ऐसे में साइबर फ्रॉड का एक भी रुपया आने पर उनके खातों को सीज कर रहे है।
…तो सेविंग खाता सीज
यदि करंट बैंक अकाउंट में साइबर फ्रॉड की राशि डाली जा रही है तो खाताधारक के खाते में फ्रॉड की राशि ही सीज हो रही है, जबकि सेविंग अकाउंट में फ्रॉड की राशि का एक रुपया भी डाला गया है। तो पूरा अकाउंट सीज हो रहा है।
दूसरे राज्यों में ठगी कर रहे मेवात के ठग
अलवर सहित प्रदेश के कई जिलों में लोगों के बैंक खाते सीज होने के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं। गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, बेंगलुरु, चेन्नई, सिक्किम, बंगाल, बिहार, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश आदि राज्यों के लोगों के साथ मेवात के ठग साइबर ठगी कर रहे हैं। ठगी की राशि को अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर उसे शॉपिंग और ऐशो-आराम पर खर्च कर रहे हैं। पीड़ित थाने में एफआइआर दर्ज करा रहे हैं। इसके बाद वहां की पुलिस उन सभी खातों को सीज कर रही है कि जिनमें फ्रॉड की राशि डाली गई।
पुलिस सेटल करा रही, वहां बैठे हैं दलाल
बैंक खाता सीज होने पर व्यापारी और आमजन पहले बैंक तो फिर अपने जिले की पुलिस के चक्कर काटता है, लेकिन समाधान नहीं निकल पा रहा। इस पर संबंधित राज्य की पुलिस से सम्पर्क कर रहे हैं। जांच अधिकारी द्वारा उन्हें अपने पास बुलाया जाता है। वहां कई दलाल बैठे हुए हैं। मामला सेटल होने के बाद उनके खातों को फिर से चालू कराया जा रहा है।