
PALI SIROHI ONLINE
रावणा अम्रत सिंह
आहोर-श्री क्षत्रिय युवक संघ संरक्षक को दी श्रद्धांजलि *संघ के माध्यम से सर्व समाज को लिया साथ*
आहोर/अमृत सिंह रावणा-राजपूत। आहोर. राजपूत सभा भवन आहोर में श्री क्षत्रिय युवक संघ संरक्षक भगवानसिंह रोलसाहबसर को सभा के दौरान राजपूत समाज सहित सर्वसमाज ने श्रद्धांजलि अर्पित की। संघ के सरंक्षक पूज्य भगवानसिंह केवल क्षत्रिय युवक संघ के मुखिया ही नहीं रहे अपितु सर्व समाज और मानव मात्र के साथ साथ भारतीय संस्कृति के लिए पुरोधा बनकर जिस प्रकार से उन्होंने एक क्षत्रिय का जन्म के अनुरूप कार्य होना चाहिए वह जीवन जीकर एक आदर्श की स्थापना की ।
उन्होंने अपने व्यक्तित्व और कर्म आधारित जीवन से क्षत्रिय को श्रेष्ठ और आदर्श साबित करके बताया। यह बात बुधबार को श्री क्षत्रिय युवक संघ द्वारा आयोजित श्रद्धांजलि सभा में वक्ताओं द्वारा श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहीं गई। संघ संरक्षक एवं मार्गदर्शक के देहावसान पर उनकी स्मृति में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में शहर के राजपूत समाज, सर्वसमाज के सैकड़ो गणमान्य लोगों व विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी ने उनके प्रति आस्था और श्रद्धा प्रकट की। तनसिंह जी द्वारा रचित झनकार गीतमाला में से श्रद्धांजलि गीत जलवे अनेक रण के दिखा कर चले गए अमरसिंह चांदना द्वारा गायन के साथ उपस्थित सैकड़ो लोगों और स्वयंसेवकों द्वारा भगवानसिंहजी के तस्वीर के समक्ष पुष्पांजलि अर्पित की गई।
पुष्पांजलि के बाद कार्यक्रम में पधारे वक्ताओं के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जोधपुर प्रांत प्रचारक खीमाराम सुथार ,कांग्रेस पीसीसी सदस्य सवाराम पटेल, पूर्व विधायक शंकरसिंह राजपुरोहित, शिवपालसिंह भैंसवाड़ा, भाजपा वरिष्ठ जिला उपाध्यक्ष ईश्वरसिंह थुंबा, अचल सिंह बालोत, सचिन राजपुरोहित, ने उनसे जुड़े हुए विभिन्न संस्मरण सुनाते हुए एक क्षत्रिय के जीवन के लिए आवश्यक बातें भगवानसिंह जी में पाए जाने की स्मृतियां सुनाई तथा उनके दिए हुए संस्कारों को प्रकाश पुंज के रूप में अंगीकार करने की बात कहीं। उपस्थित सर्व समाज के लोगों ने एक ऋषि रूप में उनके आभामंडल और विशेष आकर्षण को चर्चा के दौरान साझा किया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में श्री क्षत्रिय युवक संघ के गणपतसिंह भंवरानी द्वारा दिव्यगत महामानव के जीवन से संबंधित परिचय प्रदान करते हुए उनका संघ प्रवेश, संस्थापक तनसिंह जी से संपर्क, विभिन्न नवाचार, संघ प्रणाली, मानवीय मूल्य और गीता के ज्ञान को जीवन में परिलक्षित के संबंध में विभिन्न जानकारी द्वारा परिचय प्रदान किया। रोलसाहबसर के जीवन चरित्र और मर्यादा पुरुषोत्तम राम, वीर दुर्गादास राठौड़ और पूज्य तनसिंह जी के बाद का एक उज्जवल चरित्र बताया।
कार्यक्रम के अंत में कानसिंह मिठड़ी द्वारा प्रार्थना के साथ मंत्र उच्चारण किया गया। उपस्थित सभी महानुभावों ने प्रत्येक समाज के लिए क्षत्रिय युवक संघ से सीख लेते हुए एक आदर्श संगठन की आवश्यकता बताई तथा संघटक और संचालक के रूप में प्रत्येक समाज के लिए एक रोलसाहबसर जैसे महामानव का होना अति आवश्यक बताया।
श्रद्धांजलि के इस भावपूर्ण कार्यक्रम में दशरथसिंह सेदरिया, अर्जुनसिंह मालपुरा, जब्बरसिंह प्रतापगढ़, जब्बरसिंह तरवाड़ा, तेजसिंह रसियावास,विक्रमसिंह रातड़ी, कुंदनसिंह थुंबा, मदनसिंह भेंसवाड़ा, समदर सिंह कोराना, मांगीलाल प्रजापत, लालाराम देवासी , रघुवीरसिंह चारण, पुखराज, मदनसिंह थुंबा, खुमानसिंह दुदीया, चक्रवर्ती सिंह देछू, चन्दन सिंह कोराना, तेज सिंह मंडला, भरत सिंह मंडला, विजय सिंह ऊण, गोपसिंह सिराना, नरेंद्र सिंह शेखावत, जयसिंह अकोरापादर, अमरसिंह ऊण, बृजपाल सिंह बाला, मोरध्वज सिंह बाला, वीरबहादुर सिंह आसाडा , रमेश कुमार दर्जी देछू, महिला शक्ति में सुमनकंवर बेदाना, रितुकंवर खिवाँदी, संपतकंवर ऊंण, संतोषकंवर उखरडा सहित विभिन्न संगठनों के गणमान्य और सर्व समाजों से सैकड़ों शहरवासी और महिला स्वयंसेविका उपस्थिति रही। सभा का मंच संचालन उम्मेदसिंह ऊंण द्वारा किया गया। संभाग भर से उपस्थित स्वयंसेवकों ने संघ प्रमुख, मार्गदर्शक और संरक्षक के रूप में दी हुई शिक्षा और सदाचार को ग्रहण कर सच्ची श्रद्धांजलि के लिए कर्मरत होने का संकल्प लिया।