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जोधपुर-जोधपुर से दिल्ली जा रही वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के कैटरिंग मैनेजर अर्जुन सिंह (35) को हार्ट अटैक आ गया। शुक्रवार सुबह वे फुलेरा के पास एग्जीक्यूटिव कोच के बाहर पैंट्री एरिया में अचानक गिर गए। उसी कोच में सफर कर रहे जोधपुर एम्स के रजिस्ट्रार मनीष श्रीवास्तव और जोधपुर के डेंटिस्ट डॉ. प्रवेश गौतम ने तत्परता दिखाई। डॉ. प्रवेश ने समय रहते कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) से अर्जुन की जान बचाई।
सीने में दर्द के बाद गिरे
जोधपुर स्थित चौपासनी हाउसिंग बोर्ड इलाके के रहने वाले डॉ. गौतम ने बताया- मेरी सीट कोच E में 1 नंबर थी। अर्जुन किसी से फोन पर बात कर रहे थे। मैंने उन्हें यह कहते हुए सुना कि उनके सीने में दर्द हो रहा है। अगले ही पल अर्जुन गिर गए। तुरंत सीपीआर शुरू की। जोधपुर एम्स के रजिस्ट्रार मनीष श्रीवास्तव और मैंने फर्स्ट एड बॉक्स मांगा। उसे खोला गया तो हमलोग हैरान रह गए। उसमें सिर्फ सर्दी-जुकाम की सामान्य दवाएं थीं। किट में एस्प्रिन तक नहीं थी।
हृदय रोगियों के लिए जरूरी कोई लाइफ सेविंग दवा या इंजेक्शन नहीं मिला। पेरासिटामॉल, पट्टी और बीटाडीन जैसी बुनियादी चीजें ही थीं। मैं खुद डायबिटिक हूं। इसलिए हमेशा तीन-चार लाइफ सेविंग दवाएं अपने पास रखता हूं। मैंने अपने पास रखी आइसोसोरबाइड दवा अर्जुन को दे दी, जिससे उसकी हालत में सुधार होने लगा।
आरपीएफ एस्कॉर्ट में तैनात हेड कॉन्स्टेबल रामकिशन और बन्ने सिंह ने बताया- ट्रेन फुलेरा स्टेशन पर रुकी तो वहां मरीज को उतारने के लिए स्ट्रेचर तक नहीं थी। यात्रियों और आरपीएफ के जवानों ने मिलकर अर्जुन को उठाया और एम्बुलेंस तक पहुंचाया। उन्हें फुलेरा के हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के बाद उनकी हालत में सुधार हुआ। शाम को अर्जुन वंदे भारत से ही जोधपुर वापस लौट आएकार्डियोलॉजी से संबंधित दवाएं भी अब रखी जाएंगी
जोधपुर मंडल के सीनियर डीसीएम विकास खेड़ा ने कहा कि फर्स्ट एड किट के लिए जो स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल है, उसमें पूरे देश में कार्डियोलॉजी या दूसरे सुपर स्पेशिएलिटी की दवाएं शामिल नहीं हैं। इसी वजह से वंदे भारत की फर्स्ट एड किट में भी नहीं थीं। यह घटना संज्ञान में आने के बाद उन्होंने रेलवे डॉक्टर से बात कर इन्हें जोड़ने के लिए कहा है। साथ ही, फुलेरा जंक्शन में सूचना के बाद भी स्ट्रेचर नहीं मिलने के मामले में उन्होंने जयपुर के अधिकारियों को फुलेरा के घटनाक्रम से अवगत कराया हैलाइफ सेविंग दवाएं फर्स्ट एड बॉक्स में होनी चाहिए
एसएन मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर रोहित माथुर ने कहा कि फर्स्ट एड बॉक्स में लाइफ सेविंग दवाएं होना अनिवार्य है। उनमें हृदय रोगियों के लिए दवाएं, एंटी-एलर्जिक इंजेक्शन, दर्द निवारक और अन्य आपातकालीन दवाएं शामिल होनी चाहिए। यह घटना रेलवे की आपातकालीन चिकित्सा तैयारियों में गंभीर खामियों को उजागर करती है।
स्टाफ को सीपीआर की ट्रेनिंग जरूरी
डॉ. सुरेंद्र देवड़ा ने कहा कि प्रीमियम ट्रेनों (जिसमें यात्री से सामान्य से दोगुने पैसे लिए जाते हैं) में लाइफ सेविंग दवाएं और इंजेक्शन होने चाहिए। ऐसी ट्रेनों के टीटी, गार्ड्स और कोच अटेंडेंट को ट्रेंड किया जाना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि आजकल पोर्टेबल ईसीजी मशीनें भी उपलब्ध हैं, जिनसे ऐसी स्थिति में मरीज की ईसीजी की जा सकती है। अगर यह मशीन किसी टेली सेंटर से जुड़ी हो, तो एक-दो मिनट में विशेषज्ञ ट्रीटमेंट की सलाह दे सकते हैं। सरकार को बड़े स्टेशनों पर रेलवे के नर्सिंग स्टाफ और डॉक्टर की टीम की व्यवस्था करनी चाहिए, जो मरीज को आपात स्थिति में ट्रीटमेंट देकर टर्शियरी केयर सेंटर तक पहुंचा सकें।
