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जालोर-जालोर जिले के आहोर उपखंड के छिपरवाड़ा गांव के पास नदी के बहाव क्षेत्र में चल निजी कॉलेज की इमारत का निर्माण कार्य चल रहा है। इसे रुकवाने की मांग को लेकर लोग आहोर तहसीलदार हितेश त्रिवेदी के पास गए तो वे भड़क उठे।
तहसीलदार ने लोगों से कहा- मैं कार्य नहीं रुकवा सकता। वह खातेदारी की जमीन पर निर्माण कार्य करवा रहे हैं। कोर्ट में जाओ, वहीं से काम रुकने के आदेश हो सकते हैं।
भारतीय किसान संघर्ष समिति के संगठन मंत्री खीम सिंह ने बताया- आहोर के छिपरवाड़ा गांव में सुकड़ी नदी के पास गेट लगाकर नदी का डायवर्जन हुआ है। जिसके बहाव क्षेत्र एक निजी कॉलेज का निर्माण कार्य किया जा रहा है। नदी के बहाव क्षेत्र में होने से पानी का बहाव डायवर्ट होगा।
कॉलेज भवन में पढ़ने वाले छात्रों को भी हर वक्त हादसे का डर बना रहेगा।
19 सितंबर को दिया था ज्ञापन
काम को रुकवाने की मांग को लेकर किसानों व ग्रामीणों ने 19 सितंबर को आहोर एसडीएम शंकरलाल मीणा को ज्ञापन दिया था। एसडीएम ने तहसीलदार को बुला कर किसानों के सामने निर्माण कार्य रुकवाने की बात की। तहसीलदार ने कहा कि निर्माण कराने वाले मालिक के पास सभी लीगल परमिशन है। जिसे हम नहीं रुकवा सकते है। एसडीएम ने कहा कि ग्रामीणों की मांग पर रुकवा दो। आगे की जांच पर कार्यवाही की जाएगी।
इसके बाद भी तहसीलदार ने कार्य नहीं रुकवाया। जिससे नाराज ग्रामीणों 25 सितंबर को फिर जिला कलेक्टर को ज्ञापन देकर कार्य रुकवाने की मांग की। लेकिन कार्य नहीं रोकने पर नाराज किसान सोमवार को फिर तहसीलदार के पास वार्ता करने के लिए गए। कार्य रुकवाने की मांग की। तहसीलदार ने कहा कि वह नदी का बहाव क्षेत्र नहीं है।
यह तो ग्रामीणों ने जेसीबी से खोद कर पानी का बहाव इधर किया। वह निर्माण कार्य खातेदारी भूमि में किया जा रहा है। किसानों ने इसका विरोध किया तो तहसीलदार हितेश त्रिवेद्री किसानों पर भड़क गए। टेबल पर मुक्का मारते हुए चिल्लाने लगे। हालांकि कार्यालय स्टाफ व अन्य लोगों की समझाइश पर मामला शांत हो गया।
वहीं 4 अक्टूबर तक कार्यवाही नहीं होने पर किसान संघर्ष समिति के बैनर तले किसान जिला मुख्यालय पर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे सकते हैं।
इनका कहना है
आहोर तहसीलदार हितेश त्रिवेदी ने बताया छिपरवाड़ा के पास पानी का डायवर्जन किया हुआ है। जिससे अतिवृष्टि के समय पानी का बहाव होता है। लेकिन यहां ग्रामीणों की खातेदारी भूमि होने के कारण निर्माण कार्य किया जा रहा है। जिस पर नियमानुसार कार्यवाही करने का आश्वासन दिया गया था। लेकिन किसान लगातार आक्रोशित हो रहे थे। टेबल पर हाथ मार रहे थे।
इस दौरान आवेश में मैंने भी टेबल पर हाथ मार दिया। विवाद जैसा कोई मामला नहीं है। किसानों को कार्यवाही का आश्वासन देकर ही भेजा था।
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