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आदिवासी क्रांतिकारी पदिया मीणा के स्मारक व पेनोरमा कि मांग को लेकर मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा को ज्ञापन सौंपा
जनजातिय गौरव 1857 कि क्रांति का आदिवासी क्रांतिकारी ‘मारवाड का रॉबिनहुड’ पदिया मीणा को सम्मान देने के लिए आहोर स्मारक एवं पेनोरमा की मांग को लेकर आदिवासी महासभा जालोर ने आहोर में आयोजित ग्रामीण एवं शहरी समस्या समाधान शिविर में मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा को ज्ञापन कर बताया कि आदिवासी क्रांतिकारी पदिया मीणा ने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ गुरिल्ला शैली में संघर्ष किया था, जिसके कारण उन्हें ‘मारवाड़ के रॉबिनहुड’ के नाम से भी जाना जाता है।
इतिहास के अनुसार, पदिया मीणा का जन्म 9 अगस्त 1836 में जालोर जिले में हुआ था। अंग्रेजों के खिलाफ उनकी सक्रिय भूमिका के चलते उन्हें 1887 में धोखे से गिरफ्तार कर 5 दिसंबर 187 को उन्हें जोधपुर रियासत में फांसी दे दी गई। फांसी के समय उनकी मां ने कहा था, “मुझे गर्व है कि मैं पदिया जैसी संतान की माता हूँ। मैं हर जन्म में पदिया की मां बनना चाहूंगी।”
आदिवासी महासभा जालोर अध्यक्ष कांतिलाल मीना ने बताया कि पदिया मीणा को एक सच्चे देशभक्त, महान योद्धा और अदम्य साहस का प्रतीक बताया। पदिया मीणा को सम्मान देने के लिए जालोर जिले के आहोर उपखंड मुख्यालय पर स्मारक एवं पेनोरमा स्थापित कर आदिवासी समाज को सम्मान एवं क्रांतिकारी पदिया मीणा सच्ची श्रद्धांजलि देने का आग्रह किया है। इस मौके पर आदिवासी महासभा जालोर हिम्मताराम मीना, कोषाध्यक्ष प्रवीण कुमार मौजूद रहे।
