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रानीवाड़ा-किसानों का रानीवाड़ा, भीनमाल और वंचित सांचोर क्षेत्रों को नर्मदा नहर से सिंचाई सुविधा से जोड़ने की मांग को लेकर उपखंड कार्यालय के सामने अनिश्चितकालीन धरना जारी है। यह धरना शनिवार को पांचवें दिन भी जारी रहा। किसान नर्मदा के ओवरफ्लो पानी के कच्छ के रण में व्यर्थ बहने का विरोध कर रहे हैं और इसे लिफ्ट नहर के माध्यम से इन क्षेत्रों तक पहुंचाने की मांग कर रहे हैं।
लिफ्ट नहर की मदद से पानी सप्लाई की मांग
किसानों ने कहा- वर्तमान में नर्मदा का पानी सांचोर और चितलवाना क्षेत्र में सिंचाई के लिए दिया जा रहा है। हालांकि, चितलवाना की अधिकांश कृषि भूमि सेमग्रस्त होती जा रही है, जबकि नर्मदा का अतिरिक्त पानी कच्छ के रण में बेकार जा रहा है। किसानों ने इस व्यर्थ पानी का उपयोग कर लिफ्ट नहर के माध्यम से रानीवाड़ा, भीनमाल और वंचित सांचोर को सिंचाई से जोड़ने की मांग की है।
बीमा पॉलिसी में लापरवाही के आरोप
धरने पर बैठे किसानों ने फसल बीमा में गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि खरीफ 2025 में केसीसी लोनधारी किसानों के खातों से बैंक द्वारा फसल बीमा की राशि काट ली गई थी, लेकिन समय पर बीमा पॉलिसी जारी नहीं की गई।
फसल कटाई के बाद हुई बारिश से फसलें खराब हो गईं, लेकिन पॉलिसी न होने के कारण किसान बीमा कंपनी में नुकसान की शिकायत दर्ज नहीं कर सके। किसानों के अनुसार, शिकायत की समय-सीमा निकलने के बाद अब पॉलिसी जारी की गई है, जिससे उन्हें नुकसान की भरपाई में समस्या आ रही है।
सर्वे पर उठाए सवाल
किसानों ने फसल नुकसान सर्वे पर भी सवाल उठाए। उनका आरोप है कि बीमा कंपनी का कर्मचारी कृषि पर्यवेक्षक की अनुपस्थिति में अकेले ही खेतों में सर्वे कर चला जाता है, जबकि नियमों के अनुसार कृषि पर्यवेक्षक की उपस्थिति अनिवार्य है।
किसानों ने यह भी बताया कि 33 प्रतिशत से अधिक फसल खराब होने पर मुआवजे का प्रावधान है, लेकिन रानीवाड़ा उपखंड क्षेत्र में पर्यवेक्षकों को मनमाने ढंग से रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए जाते हैं। इससे वास्तविक नुकसान दर्ज नहीं हो पाता और किसानों को उचित मुआवजा नहीं मिल पाता।
धरनास्थल पर किसानों ने जल जीवन मिशन योजना की व्यवस्था पर भी सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि ढाणियों को ‘हर घर नल’ से जोड़ने के नाम पर ग्राम पंचायतों द्वारा प्रति कनेक्शन 1000 से 1500 रुपए वसूले गए, लेकिन वर्षों बाद भी नलों में पानी नहीं आया।
इस स्थिति से ग्रामीण आबादी में भारी रोष है। किसानों ने मांग की है कि हर नल में नर्मदा का पानी उपलब्ध कराया जाए ताकि ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल मिल सके।
