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जोधपुर-राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर पीठ ने सोमवार को एक प्रेम विवाह से जुड़े मामले में युगल द्वारा परिवार वालों से जान का खतरा बताने पर बालोतरा एसपी के समक्ष परिवाद देने का निर्देश दिया। बालोतरा की युवती और जैसलमेर के युवक ने शादी के बाद सुरक्षा की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसी पर जस्टिस योगेंद्र कुमार पुरोहित ने यह फैसला सुनाया है।
बालोतरा के कल्याणपुर तहसील में मंडली थाना क्षेत्र की रहने वाली पूजा और जैसलमेर के रातड़िया निवासी जेठाराम ने प्रेम विवाह किया है। इन्हीं की तरफ से राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। इसमें इनका कहना है कि दोनों का विवाह परिवार और समाज को स्वीकार्य नहीं है। इसलिए दोनों को परिवार और रिश्तेदारों से जान का खतरा है।
याचिका में आईजी जोधपुर रेंज, बालोतरा पुलिस अधीक्षक, जैसलमेर के रातड़िया व बालोतरा के मंडली थानाधिकारी व परिवार के छह अन्य व्यक्तियों गजाराम, केहनाराम, नेमाराम, दिनेश, लक्ष्मण और ओमाराम को पक्षकार बनाया गया है।
वकील ने मांगी पुलिस सुरक्षा
याचिकाकर्ताओं के वकील ने कोर्ट में बताया कि याचिकाकर्ता 18 वर्ष से अधिक उम्र के हैं। उन्होंने शादी की है, लेकिन उनके परिवार के सदस्यों और समाज को ये स्वीकार्य नहीं है। परिवार और समाज ने याचिकाकर्ताओं को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी है। वकील ने प्रार्थना की कि दोनों को पुलिस सुरक्षा दी जाए।
कोर्ट के याचिकाकर्ता व पुलिस को निर्देश
कोर्ट ने आदेश में कहा- हालांकि कोई विशिष्ट घटना या खतरे की दलील नहीं दी गई है, लेकिन याचिकाकर्ताओं के वकील द्वारा बताए गए तथ्यों तथा परिस्थितियों को देखते हुए याचिकाकर्ताओं को जान का खतरा या अन्य आशंका है तो वे बालोतरा पुलिस अधीक्षक के समक्ष प्रतिवेदन दे सकते हैं।
कोर्ट ने बालोतरा एसपी को निर्देश दिए कि याचिकाकर्ताओं को संभावित हमलावरों के नाम के साथ अपनी चिंता जताते हुए प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जाता है तो पुलिस अधीक्षक उस पर विचार करेंगे। इसका तथ्यात्मक स्थिति का विश्लेषण करने के बाद किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए आवश्यक आदेश पारित करेंगे या कार्रवाई करेंगे।
शादी की वैधता पर कोर्ट का स्पष्टीकरण
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस आदेश को विवाह की वैधता और याचिकाकर्ताओं की उम्र के प्रमाण के रूप में नहीं माना जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि यहां की गई कोई भी टिप्पणी याचिकाकर्ताओं के खिलाफ उनके रिश्तेदारों द्वारा शुरू की गई किसी भी आपराधिक या दीवानी कार्यवाही को प्रभावित नहीं करेगी।
