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जल्द ही राजस्थान का बजट आने वाला है। बुजुर्गों को आने वाले बजट में भजनलाल सरकार बड़ी सौगात दे सकती है। RGHS में बदलाव हो सकता है। इसके लिए वरिष्ठ नागरिक संस्थान ने सरकार को कई सुझाव भेजें हैं। संभावना है कि बजट में बुजुर्गों को राहत मिल जाए। उम्र का एक पड़ाव पार करने के बाद स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां बढ़ जाती है। पेंशनर हो या सामान्य बुजुर्ग, उन्हें हर दम उपचार की जरुरत पड़ती है, लेकिन सरकार ने कई तरह की बाध्यताएं बना रखी है, जिससे उपचार में भी परेशानी आती है। वरिष्ठ नागरिक संस्थान ने स्थिति सामने रखते हुए सरकार को सुधार के लिए सुझाव दिए हैं। वरिष्ठ नागरिक संस्थान ने सरकार को भेजे सुझाव में बताया कि आगामी बजट में बुजुर्गों की समस्याओं का निराकरण एवं सुविधाओं का बजट में विशेष ध्यान रखने की जरुरत है। पेंशनर को प्रत्यक्ष रूप में अस्पताल में उपस्थित होना अनिवार्य किया है, जो अव्याहारिक है। अनेक ऐसे वरिष्ठ नागरिक हैं, जो गंभीर बीमारियों से पीड़ित है और बिस्तर से उठ भी नहीं पाते। आदेश से उन्हें उपचार से वंचित होना पड़ रहा है। इसी प्रकार इनडोर पेशेंट के इलाज के दौरान चिकित्सक से जरुरत अनुसार जो दवा अधिकृत की जाती है, जो कि आरजीएचएस की सूची में नहीं होने से दवा की राशि मरीज को वहन करनी होती है। ऐसी अधिकृत दवाओं के बिल आरजीएचएस पोर्टल पर अपलोड करने पर उन्हें पुनर्भरण प्राप्त करने की सुविधा उपलब्ध नहीं है।
जीवनरक्षक दवाओं पर लिमिट अनुचित
सरकार कैल्शियम, विटामिन आदि की सभी जीवनरक्षक दवाएं वरिष्ठ नागरिकों के लिए कैसलेश उपलब्ध करवाए, क्योंकि सेवानिवृत्त के बाद बुजुर्ग को इन दवाओं की जरुरत ज्यादा होती है। हाल ही में सरकार ने यह सुविधा 75 वर्ष की आयु वालों को 3000 रुपए की लिमिट के साथ दी है, लेकिन राज्य के 70 प्रतिशत पेंशनर्स को इससे वंचित कर दिया है। इसे लिमिट में बांधना उचित नहीं है।
इस स्थिति में भी सुधार की जरूरत
1- पेंशनर और उस पर आश्रित माता-पिता, सास-ससुर के उपचार की वार्षिक सीमा बढ़ाई जानी चाहिए। दवाओं की कीमतों के पिछले 5 साल में हुई वृद्धि को ध्यान में रखते हुए 50 हजार के बजाय 70 हजार की जानी चाहिए।
2- राजकीय उपक्रमों के सेवानिवृत्त पेंशनर्स के लिए सूची में पहले डायबिटीज शामिल थी, उसे हटा दिया गया। फिर से जोड़ा जाना चाहिए। ऐसे पेंशनर्स की वार्षिक सीमा 30 हजार से बढ़ाकर 50 हजार की जानी चाहिए।
RGHS पोर्टल में खामी
आरजीएचएस के अधीन कर्मचारी या बीमार इनडोर पेशेंट के रूप में इलाज कराने जाता है तो कई बार उसे आरजीएचएस में उपचार नहीं दिया जाता, चाहे इमरजेंसी स्थिति रही हो। संबंधित अस्पताल की ओर से कहा जाता है कि ’प्रस्ताव बनाकर आरजीएचएस पोर्टल पर अपलोड कर दिए हैं, अनुमोदन मिलने पर इलाज शुरू किया जाएगा। ऐसे में मरीज के परिवार को बाध्य होकर नकद राशि जमा करवाकर इलाज शुरू करवाना पड़ता है। पोर्टल पर अपलोड करने के बाद भी कई बार 10-10 घंटे बाद अनुमोदन आता है, जिससे मरीज परेशान होते हैं।
टॉपिक एक्सपर्ट : RGHS से जल्द अनुमोदन करवाने की व्यवस्था हो
राज्य सरकार से अनुरोध करते हैं कि जैसे ही किसी भी अस्पताल में मरीज जाए, उसे तत्काल इलाज मिले। आरजीएचएस से जल्द अनुमोदन करवाने की व्यवस्था की जाए, जिससे अनावश्यक वित्तीय भार मरीज पर नहीं पड़े। ऐसा करने से सरकार पर किसी तरह का वित्तीय प्रभाव नहीं पड़ेगा। मरीज सही समय पर उपचार ले सकेगा।
भंवर सेठ, अध्यक्ष, वरिष्ठ नागरिक संस्थान