PALI SIROHI ONLINE
बांसवाड़ा-सुप्रीम कोर्ट की ओर से अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग को मुख्य धारा में लाने के लिए आरक्षण में आरक्षण (कोटे में कोटा) लागू करने और जनसंख्या के अनुपात में पृथक से आरक्षण की मांग को लेकर आदिवासी आरक्षण मंच के बैनर तले रविवार को बांसवाड़ा में विशाल रैली निकाली गई। इसमें बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ के अलावा सवाई माधोपुर और झालावाड़ से भी आदिवासी समाज के प्रतिनिधि सम्मिलित हुए। श्री गोविंद गुरु राजकीय महाविद्यालय के मैदान में आयोजित रैली में सम्मिलित होने के लिए दोपहर से ही जनप्रतिनिधियों के साथ ही बड़ी संख्या में युवा पहुंचना शुरू हो गए थे। हजारों लोगों की उपस्थिति से पूरा पाण्डाल खचाखच भरा हुआ था। इसमें सम्मिलित युवाओं के हाथों में तीन सूत्री मांग कोटे में कोटा आरक्षण लागू करो, जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण दो और न्यूनतम पात्रता में पूर्णतः छूट दो के नारे लिखी तख्तियां थी। इसके बाद सभा में तीनों मांगों को लेकर वक्ताओं ने संबोधित किया। सभा के बाद कॉलेज मैदान से रैली निकाली गई, जो अंबामाता, कस्टम चौराहा, पुराना बस स्टैंड, सूचना केंद्र, कुशलबाग, जवाहरपुल होते हुए कलेक्ट्री पहुंची, जहां तीनों मांगों का उल्लेख करते हुए राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया। दक्षिणी राजस्थान में लागू हो निर्णयइससे पहले सभा में पूर्व जल संसाधन मंत्री महेंद्रजीतसिंह मालवीया ने कहा कि दक्षिणी राजस्थान कई सालों से प्रशासनिक सेवाओं में पृथक से आरक्षण की मांग कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कोटे में कोटे आरक्षण देने का निर्णय किया है। इस निर्णय से यहां के युवाओं और जनप्रतिनिधियों में यह भावना पैदा हुई है कि हमारे मन की आवाज किसी ने सुनी है। उन्होंने कहा कि हरियाणा ने इस निर्णय को लागू कर दिया है। रैली के माध्यम से चाहते हैं कि प्रशासन, राज्यपाल और मुख्यमंत्री सुप्रीम कोर्ट के कोटे में कोटा आरक्षण को इस क्षेत्र में लागू करे। अनुसूचित जनजाति के साथ ही अनुसूचित जाति के लिए भी लागू करे तो आपत्ति नहीं है। ओबीसी को भी लाभ मिले तो स्वागत है। आदिवासियों का 12 प्रतिशत आरक्षण है। उसमें से दक्षिणी राजस्थान को पृथक से साढ़े 6 प्रतिशत जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण मिले।
जिन पर भरोसा किया, वह गायबमंच के संयोजक कमलकांत कटारा ने कहा कि आदिवासी आरक्षण मंच ने अपनी मांगों को लेकर लंबा संघर्ष किया है। मंच ने भाजपा, कांग्रेस और बीएपी के नेताओं से भी आग्रह किया था कि राजनीतिक विचारधारा से ऊपर उठकर समाज की कोटे में कोटा आरक्षण की मांग को लेकर आवाज उठाएं। इस पर यह आरोप लगाए गए कि मंच को हाइजैक कर लिया गया है। जिन लोगों ने इसी मैदान से भारत को बांग्लादेश बनाने की बात कही। जिस राजनीतिक दल के लोगों पर समाज को भरोसा था और युवाओं ने भरोसा किया, उनमें से आज कोई यहां मौजूद नहीं है। अब युवा निर्णय करेंगे और अपने अधिकार को लेकर रहेंगे। अन्य वक्ताओं ने कहा कि सरकार के सामने मजबूती से अपनी मांगों को रखते हुए आया है। निर्णय को लागू कर राष्ट्र की मुख्य धारा में लाना चाहिए। पहले रैलियां की गई। चिकित्सा सेवा में लाभ मिला। जब तक सफलता नहीं तब तक संघर्ष करेंगे।
यह रहे मौजूद मंच पर जिला प्रमुख रेशम मालवीया, पूर्व राज्यमंत्री धनसिंह रावत, दलीचन्द मईडा, पूर्व संसदीय सचिव भीमा भाई, पूर्व सांसद कनकमल कटारा, मानशंकर निनामा, आदिवासी विचारक लालशंकर पारगी, प्रधान सुभाष खराड़ी, बलवीर रावत, जिला परिषद सदस्य राजेश कटारा, पूर्व विधायक हरेंद्र निनामा, दीपसिंह वसुनिया दिनेश राणा, मणिलाल गरासिया, देवकृष्ण निनामा, फूलशंकर, विनोद पटेल सहित अन्य मौजूद रहे।