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जयपुर-गरीबों को सस्ता अनाज देने के लिए 11 साल पहले शुरू की गई खाद्य सुरक्षा योजना में पिछले ढाई साल से नया नाम नहीं जोड़ा गया, जबकि प्रदेश में 13 लाख परिवार योजना का लाभ लेने के लिए कतार में हैं। सरकार ने लाभार्थियों की सीमा तय करके प्रक्रिया को रोक दी थी। ऐसे में सवाल यह है कि लाखों लोग 11 साल से बेझा लाभ ले रहे हैं तो उन्हें अब तक बाहर क्यों नहीं किया जा सका। लाभार्थियों की संख्या वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार तय की गई है, जबकि 2024 तक नए लाभार्थी जुडऩा स्वाभाविक है। फिर भी नए नाम जोडऩे की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पा रही है।
केंद्र सरकार की ओर से राजस्थान की वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार खाद्य सुरक्षा योजना के तहत लाभार्थियों को चयनित किया गया। इसकी सिलिंग 4.46 करोड़ तय की गई है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के प्रावधान के अनुसार जनसंख्या अनुसार सिलिंग तय की गई। प्रदेश के लाभार्थियों की संख्या तब ही बढ़ सकती है, जब अगली जनगणना के आंकड़े सामने आएंगे।
अंतिम बार ढाई साल पहले खुला पोर्टल
योजना में पात्र के नाम जोडऩे के लिए पोर्टल एक माह के लिए अप्रेल 2022 में खोला गया था।
इसके बाद पोर्टल को दुबारा 13 मई से 28 मई 2022 के बीच खोला गया था।
नाम हटाए जाने की प्रक्रिया कई बार
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने माना कि कई लोेग बेझा लाभ ले रहे हैं। उन्हें हटाने के लिए 5 नवम्बर 2015, 29 सितम्बर 2017 और 11 अप्रेल 2022 को आदेश निकाले थे।
लाभार्थियों की सूची का साल में दो बार अंकेक्षण कराए जाने का दावा किया जाता है, फिर भी अपात्र लोगों के जुड़े होने की आशंका में ही सीमा निर्धारित कर दी गई है।
आगे क्या… ई-केवाइसी से खुलेगा रास्ता
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार चयनित लाभार्थियों की ई-केवाईसी हो रही है। ऐसे में और भी अपात्र लोग सामने आएंगे, जो बरसों से सस्ता अनाज लेने का बेझा लाभ ले रहे हैं।
फॉरव्हीलर वाहन मालिक और आयकर दाताओं का डाटा लिया जा रहा है। जिसका खाद्य सुरक्षा योजना में चयनित लाभार्थियों के डेटा से मिलान कर अपात्र नाम हटाए जाएंगे।
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