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मेड़ता-जोधपुर में मंगलवार को हुए सड़क हादसे ने एक परिवार की खुशियां छीन ली। हादसे में मां, बेटे और बहू की मौत हो गई। पोता-पोती समेत चार घायल हो गए। घायल बच्चे एम्स में भर्ती हैं और माता-पिता व दादी की मौत से बेखबर हैं। बच्चे बार-बार माता-पिता को बुलाने की बात बोल रहे हैं। बच्चों के दादा की हालत गंभीर है, वे वेंटिलेटर पर हैं।
यह परिवार नागौर में मेड़ता की लवकुश कॉलोनी का रहने वाला है। बालोतरा में जसोल माता के दर्शन कर नागौर लौट रहा था, इसी दौरान जोधपुर में इनकी कार को ट्रक ने टक्कर मार दी।
रिश्तेदारों ने बुधवार सुबह उनके घर पहुंचकर गेट का ताला खोला और अंतिम संस्कार की तैयारी करने लगे। जोधपुर से शाम चार बजे शव मेड़ता शहर लाए गए। करीब 4:30 बजे अंतिम संस्कार किया गया।
बच्चे मम्मी-पापा के बारे में पूछ रहे
जोधपुर में बोरानाड़ा थाना इलाके के भांडू गांव के पास मंगलवार को ट्रक और कार की आमने-सामने की टक्कर हुई थी। कार सवार इंदिरा सेन (48), उनके बेटे रमेश सेन (30) और बहू पार्वती सेन (28) की मौत हो गई थी। वहीं उनके पति कैलाश सेन (50), पोता गर्वित सेन (4) और बेटी खुशी सेन (6) घायल हो गए थे। रमेश का मौसेरा भाई सुमित (21) निवासी रियाबड़ी भी घायल है। चारों घायल जोधपुर एम्स में भर्ती हैं।
दोनों बच्चों को उनके माता-पिता और दादी की मौत के बारे में नहीं बताया गया है। वे हॉस्पिटल में मौजूद अपने रिश्तेदारों से उनके बारे में पूछते हैं, लेकिन किसी की हिम्मत नहीं कि उन्हें इस बारे में बताया जाए। बच्चे इतने छोटे हैं कि रोते-रोते बस मम्मी-पापा बोल रहे हैं।
कॉलोनी में सन्नाटा, शोक का माहौल
हादसे के बाद लवकुश कॉलोनी में शोक का माहौल है। कॉलोनी के लोगों ने बताया- यह परिवार मंगलवार सुबह 4 बजे घर से निकला था। घर के गेट पर ताला लगाकर गए थे। चाबी पड़ोसियों को देकर गए थे। हादसे के बाद घर के गेट का ताला खोलने वाला कोई नहीं था। सूचना के बाद बुधवार सुबह रिश्तेदार पहुंचे और पड़ोसियों से चाबी लेकर घर के गेट का ताला खोला।
दशहरे पर खोला था सैलून
रमेश के दोस्त अजय सैनी से भास्कर को फोन पर बताया- मैं और रमेश अच्छे दोस्त थे। रमेश के साथ बिताए पलों को याद करते हुए अजय भावुक हो गए। उन्होंने कहा- रमेश की इच्छा थी कि उसका खुद का हेयर सैलून हो। इसके लिए उसने मन्नत मांगी थी। दशहरे पर उसकी मन्नत भी पूरी हो गई। उसने मेड़ता के गांधी चौक में सैलून खोला था। दीपावली के छह दिन पहले ही उसने दुकान को सजाया था, लाइटिंग की थी और पूजा की थी। दुकान की सजावट अभी उतरी भी नहीं थी कि परिवार की सारी खुशियां गम में बदल गईं। इतना कहते-कहते अजय की आंखें भर आईं।
अजय ने बताया- रमेश कहीं घूमने जाता था तो बताकर जाता था। इस बार वह कुछ बोलकर नहीं गया। संभव है परिवार का जसोल माता (बालोतरा) जाने का अचानक प्लान बना हो। मंगलवार को वह सैलून की छुट्टी भी रखता था। दोस्त ने बताया- रमेश ने एक साल पहले ही कार खरीदी थी, जिसमें पूरा परिवार जसोल गया था।