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खीमाराम मेवाडा
तखतगढ़-ग्रहणियों एवं युवतियों ने धनतेरस पर धन रुपी खेत की मिट्टी की पूजा कर और सोना रूपी आंवल के पीले फूल का धन लेकर पहुंची घर, दिन-ब-दिन लुप्त हो रही परंपरागत
तखतगढ 28 अक्टूबर;(खीमाराम मेवाडा) सदियों से चली आ रही परंपरागत के अनुसार दीपावली से दो दिन पूर्व मंगलवार को धनतेरस के अवसर पर सुमेरपुर उपखंड एवं तखतगढ़ नगर पालिका क्षेत्र सहित आसपास ग्रामीण क्षेत्रों में अलसुबह सूर्योदय होते ही हर घर की ग्रहणियों एवं युवतियों ने धनतेरस पर खेतों में पहुंचकर धन रुपी खेत की मिट्टी की दीपक जलाकर धूप बत्ती के साथ पूजा अर्चना कर और सोना रूपी आंवल के पीले फूल का धन लेकर पहुंचने का सिलसिला देखने को मिला।
मंगलवार सुबह सूर्योदय होते ही हर घर की ग्रहणियों एवं युवतियों ने शहर के नजदीकी खेतों में पहुंचकर खेत में दीपक एवं धूप बत्ती जलाकर खेत की मिट्टी पर कुमकुम तिलक के साथ विधिवत पूजा अर्चना कर धन रुपी खेत की मिट्टी को बर्तन में लेकर उस पर सोना रूपी औषधि आंवल के पीले फूलो को सजाकर सिर पर रखकर धन लेकर पहुंची ।
दिन-ब-दिन लुप्त हो रही परंपरागत, बड़े बुजुर्गों में बताया कि तकरीबन तीन दशक पूर्व ही सदियों से चली आ रही परंपरागत रूप से दीपावली के 2 दिन पूर्व धनतेरस के दिन अलसुबह हर घर की महिलाएं एवं युवतियां खेतों में जाकर खेत की मिट्टी को बर्तन में लेकर उस पर सोना रूपी आंवल के पीले फूल सजाकर धन मानकर घर पहुंचती थी। और इस मिट्टी में गोबर मिलकर घर के आंगन को शुद्ध किया जाता था। लेकिन बदलते युग में अब हर शहर से लेकर गांव गांव ढाणिया तक गली मोहल्ले में पक्के मकानो का निर्माण और आंगन पर टाइल्स या ग्रेनाइट पत्थरों की फैशन से अब दिन-ब- दिन यह परंपरा लुप्त होती जा रही है।
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