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शिवपुरी: भारत में कई तरह की जनजाति रहती है. इनकी अपनी अलग प्रथाएं होती है. जहां कुछ प्रथाएं लोगों की तारीफ के काबिल होते हैं जबकि कुछ को प्रथा नहीं, कुप्रथा कहा जाए तो गलत नहीं होगा. जिस देश में महिला को देवी मानकर पूजा जाता है, उस देश में एक ऐसी जगह है, जहां महिलाओं की मंडी लगती है. जी हां, इस मंडी में दूसरे बाजार की तरह महिलाओं की खरीद-बिक्री की जाती है.
हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के शिवपुरी की. यहां एक ऐसी जगह है, जहां लोग दूसरे की बहु-बेटियों को किराए पर खरीदकर ले जाते हैं. इस कुप्रथा को ‘धड़ीचा’ के नाम से जाना जाता है. इसके लिए बाकायदा मंडी लगती है. लोग इस मंडी में आते हैं और सौदे के हिसाब से किराए पर महिलाओं को ले जाते हैं. किराए की अवधी भी सौदे में तय होती है. इसके लिए दूर-दूर से मर्द आते हैं. ये मर्द अपनी पसंद की लड़की-महिला को देखने के बाद उसकी कीमत तय करते हैं और फिर उसे लेकर चले जाते हैं.
आते हैं ऐसे खरीददार
गरीब परिवार अपने घर की महिलाओं को इस मंडी में लेकर आते हैं. मर्द अपनी पसंद की महिला की कीमत तय कर उसे अपने साथ ले जाते हैं. कई कारणों से मर्द महिलाओं का सौदा करते हैं. कुछ अपने घर की बुजुर्गों की सेवा के लिए, कुछ जिनकी शादी नहीं हो पा रही है, वो यहां से कुछ समय के लिए बीवी खरीद कर ले जाते हैं. हालांकि, महिला को ये पूरा अधिकार होता है कि वो सौदे से इंकार कर सकती है.
होता है एग्रीमेंट
जिस महिला को मंडी से खरीदा जाता है, उसके लिए एग्रीमेंट भी किया जाता है. इसके अलावा महिलाओं की कीमत मंडी में पंद्रह हजार से शुरू होती है. ये कीमत लाखों तक जा सकती है. कुंवारी लड़कियों की कीमत ज्यादा होती है. पुरुष को एक साल के लिए या कुछ महीनों के लिए अपने साथ ले जाते हैं. ले जाने से पहले इसका एग्रीमेंट भी किया जाता है. इसके लिए स्टाम्प पेपर भी बनवाए जाते हैं. इन स्टाम्प पेपर्स की शुरुआत दस रुपए से भी हो जाती है.