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जोधपुर-जोधपुर में पर्यावरण और खेजड़ी के पेड़ बचाने के लिए 294 साल पहले 363 लोगों ने जान दी थी। उनकी याद में जोधपुर जिला मुख्यालय से 22 किलोमीटर दूर खेजड़ली गांव में 13 सितंबर को मेला भरेगा।
आंदोलन की प्रणेता अमृता देवी सहित मारे गए 363 लोगों को श्रद्धा सुमन अर्पित करने पूरे देश से लोग पहुंचेंगे। मेले में महिलाएं सोने के जेवरातों से सज-धजकर पहुंचती हैं।
13 सितंबर (शुक्रवार) को खेजड़ली गांव में बिश्नोई समाज के आराध्य जम्भेश्वर भगवान के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा भी होगी। इसके लिए समाज के लोगों ने 8 करोड़ रुपए से ज्यादा की बोली लगाई है।
मेले में देशभर से आते हैं लोग
जोधपुर खेजड़ली शहीद अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण संस्थान के अध्यक्ष मलखान सिंह बिश्नोई ने बताया- मेले को लेकर 6 सितंबर से जाम्भाणी हरिकथा का आयोजन किया जा रहा है। इस बार मेले में लाखों लोगों के आने की संभावना है।
मेले में राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न क्षेत्रों से बिश्नोई समाज के लोग, संत, जनप्रतिनिधि, पर्यावरण प्रेमी शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए आएंगे।
सोने की ज्वेलरी से सज-धजकर पहुंचती हैं महिलाएं
मेले में महिलाएं सोने के जेवरात पहनकर आती हैं। हर महिला लाखों के गहने पहने होती है। यह मेला समाज में महिला शक्ति को बढ़ावा देने और महिलाओं को बराबर का सम्मान देने का उदाहरण है।
कलश के लिए लगी सबसे ज्यादा 6.11 करोड़ की बोली
खेजड़ली गांव में बिश्नोई समाज के आराध्य जम्भेश्वर भगवान का मंदिर बनाया गया है। 13 सितंबर को मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा है। प्राण प्रतिष्ठा के अलग-अलग धार्मिक आयोजन के लिए समाज के लोगों ने करीब 8 करोड़ 62 लाख रुपए की बोली लगाई है।
कलश के लिए 6 करोड़ 11 लाख, ध्वजा के लिए 1 करोड़ 11 लाख, पट खोलने के लिए 11 लाख, झालर टंकोरा के लिए 13 लाख, आरती के लिए 25 लाख, दीपक के लिए 15 लाख, माला के लिए 21 लाख, तस्वीर के लिए 16 लाख की बोली लगाई गई है।
बलिदान की याद में पैनोरमा और स्टैच्यू
राजस्थान सरकार ने ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए खेजड़ली में विशेष बजट से मां अमृता देवी की प्रतिमा स्थापित कर 363 शहीदों के नामों की सूची स्थापित की थी। इसके साथ ही खेजड़ली बलिदान से जुड़ी जानकारी के लिए पूरी घटना का पैनोरमा भी बनाया है।