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जालोर-जालोर सामान्य अस्पताल में ब्लड कंपोनेंट यूनिट की बिल्डिंग का निर्माण 1500 की जगह 1350 वर्गफीट में होने के कारण इसका लाइसेंस 18 महीने से अटका हुआ है। इस कारण अस्पताल में डेढ़ करोड़ की लागत से आई ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन मशीनें भी धूल चाट रही है। इस कारण अस्पताल में आने वाले मरीजों को इस सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
जिला अस्पताल में अभी एक यूनिट ब्लड से एक व्यक्ति की ही जान बच पाती है। ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट शुरू हो जाए तो एक ब्लड यूनिट से तीन जान बचाई जा सकती हैं, जिसके लिए चिकित्सा विभाग निदेशालय से डेढ़ करोड़ रुपए की मशीनें जिला अस्पताल को करीब 18 महीने पहले ही भेज दी थी। इसके बाद भी अभी तक यूनिट शुरू नहीं हो पाई है। इससे अभी डेंगू के मरीजों का फायदा नहीं मिल पा रहा है।
चिकित्सा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने 1500 वर्ग फीट के भवन का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन प्रस्ताव पास होने के बाद महंगाई बढ़ने से स्वीकृत राशि से 1350 स्क्वायर फीट का ही भवन बन पाया है। इसके चलते यूनिट संचालन के बल्ड कंट्रोलर ऑफ इंडिया और औषधी नियंत्रण विभाग जयपुर ने लाइसेंस नहीं दिया, क्योंकि बल्ड कंपोनेंट सेपरेशन के लिए कम से कम 1500 वर्ग फीट का भवन जरूरी है।
अधिकारियों की गलती से मरीजों को नहीं मिल रहा फायदा
2 साल पहले जालोर जिला अस्पताल स्थित ब्लड बैंक के ऊपर भवन बनाया था, जिसमें करीब 2200 वर्ग फीट की छत होने के बाद भी 1350 वर्ग फीट में ही भवन बनाया। अब इस गलती के कारण करीब डेढ़ साल से जिला अस्पताल को ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन का लाइसेंस नहीं मिल पा रहा है।
यूनिट शुरू होने पर जिस कंपीनेंट की जरूरत वही चढ़ा सकेंगे जिला अस्पताल में प्रतिदिन 700 से 800 मरीज आ रहे हैं। इनमें 8 से 10 मरीज डेंगू के आ रहे हैं, जिनको अस्पताल में भर्ती किया जा रहा है। वहीं, वर्तमान में 30 से 35 मरीज अस्पताल में भर्ती हैं। डॉक्टर के अनुसार डेंगू के मरीजों को प्लेटलेट्स, थैलीसिमिया मरीजों को आरबीसी की ही जरूरत होती है। इसी तरह कोरोना मरीजों को प्लाजमा की जरूरत होती है।
मरीज को ब्लड के जिस कंपोनेंट की जरूरत है। वही देने पर वह जल्दी ठीक होते हैं। ब्लड कपोनेंट सेपरेशन यूनिट शुरू नहीं होने से अभी उन्हें पूरा ब्लड चढ़ाना पड़ता है। ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट शुरू होने से 1 यूनिट ब्लड को 3 भागों में बांटा जाता है। ब्लड में मौजूद रहने वाला प्लाजमा पेकसेल, आरबीसी और प्लेटलेट्स को अलग किया जाता है।
जल्द होगी शुरू, 150 वर्ग फीट का भवन बढ़ा रहे अस्पताल पीएमओ पूनम टांक ने बताया कि कुछ कमियों की वजह से लाइसेंस नही मिला था, जो अभी तक अटका हुआ है। दीपावली के बाद 150 वर्गफीट का भवन बनाकर इसको बढ़ाया जा रहा है, जिसके बाद लाइसेंस भी मिल जाएगा और जल्दी शुरू कर दिया जाएगा।
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