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दीपोत्सव पंच महापर्व पांच की बजाय छः दिनों का होगा, दीपोत्सव पंच महापर्व का आगाज 10 नवंबर से
सुमेरपुर:-8 नवंबर 2023।
ज्योतिषाचार्य पंडित सुरेश गौड़ ने बताया कि धनतेरस से लेकर भाई दूज तक मनाया जाने वाला दीपोत्सव पंच महापर्व इस बार पांच दिनों की बजाय छः दिनों में मनाया जाएगा। दीपोत्सव पंच महापर्व का आगाज 10 नवंबर को धनतेरस से होगा। 12 नवंबर को ही रूप-नरक चतुर्दशी व दीपावली पर्व है।13 नवंबर को देव-पितृ सोमवती अमावस्या के कारण गोवर्धन पूजा व अन्नकूट 14 नवंबर को मनाया जाएगा।तथा भाईदूज 15 नवंबर को होगी।पंडित गौड़ ने बताया कि सनातन धर्म में विधि विधान अनुसार पर्वों को मनाने के सिद्धांत विभिन्न धर्म ग्रन्थों व ज्योतिषीय ग्रंथो में वर्णित है। लेकिन स्थान भेद व विद्वानों के भिन्न-भिन्न मत के कारण कुछ पर्वो में एक रूपता में अंतर हो सकते है।सुख-समृद्धि और सौभाग्य से जुड़ा दीपोत्सव कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी से लेकर कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की द्वितीया तक मनाए जाते है। इस पंच महापर्व में धनतेरस, रूप- नरक चतुर्दशी, दीपावली, अन्नकूट – गोवर्धन पूजा और भाई दूज समेत कुल पांच त्योहार आते हैं। पंडित गौड़ ने बताया कि इस बार दीपोत्सव पंच महापर्व पांच दिनों की बजाय छः दिनों में ही संपन्न होगा।लेकिन पर्व चार दिनों में ही मनाया जाएगा।11 नवंबर व 13 नवंबर को पंच पर्व में से कोई पर्व नही मनेगा।
धनतेरस 10 नवंबर शुक्रवार को
कार्तिक कृष्णा प्रदोष व्यापिनी त्रयोदशी को धनत्रयोदशी मनाई जाती है। लेकिन इस बार 10 नवंबर को दोपहर 12:36 बजे से त्रयोदशी शुरू होकर 11 नवंबर को दोपहर 1:58 बजे तक रहेगी। ऐसे में 10 नवंबर को प्रदोष व्यापिनी त्रयोदशी तिथि में पर्व मनाना चाहिए। इस हेतू 10 नवंबर को धनतेरस मनाई जायेगी। इसी दिन सांय यम दीपदान होगा।पंडित गौड़ ने बताया कि धन तेरस पर नए प्रतिष्ठानों का शुभारंभ व खरीददारी हेतू शुभ संयोग होने से दिनभर सोना- चांदी बर्तन-वाहन-कपड़े-फर्नीचर-बहीखाते-गृह साज सज्जा सामग्री सहित पूजा सामग्री- दीपक मिठाईयां आदि की खरीदी करना शुभ माना जाता है।इस मौके लोग प्रोपर्टी व अन्य कार्यो में धन का निवेश करना शुभ मानते है। इस दिन आरोग्य के अधिष्ठाता भगवान धन्वन्तरी की पूजा करने का विधान है।
इस दिन ये करे चमत्कारी उपाय- इन वस्तुओं की करे ख़रीदी
इस दिन कमलगट्टा का बीज- कमल के फल को कमलगट्टा कहते हैं। इसके अंदर से जो बीज निकलते हैं उनकी माला बनती हैं। आप चाहे तो माल खरीद सकते हैं। लेकिन इनके बीज मिले तो उसे खरीदकर धन्वंतरी देव और माता लक्ष्मी को अर्पित करें। माता लक्ष्मी को कमल का फूल, फल और बीज बहुत ही पसंद हैं।औषधी -इस दिन औषधी जरूर खरीदना चाहिए।औषधियां हमें निरोगी बनाए रखती हैं।गोमती चक्र और कोड़ियां -इस दिन बच्चों की सुरक्षा के लिए गोमती चक्र और धन समृद्धि बढ़ाने के लिए कोड़ियां जरूर खरीदें। झाड़ू -इस दिन झाडू खरीदना बहुत ही शुभ माना जाता है। इसे वर्षभर के लिए घर से नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकल जाती है। धनिया – इस दिन जहां ग्रामीण क्षेत्रों में धनिए के नए बीज खरीदते हैं वहीं शहरी क्षेत्र में पूजा के लिए साबुत धनिया खरीदते है।शंख- शंख से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है।अत:शंख को पूजा घर में रखे। घंटी-घंटी भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी घंटा ध्वनि से प्रसन्न होती है। पर्व धन के देवता कुबेर, माता लक्ष्मी और आरोग्य के देवता माने जाने वाले भगवान धनवंतिर की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व है। मान्यता है कि धनतेरस पर विधि-विधान से पूजा करने पर व्यक्ति को धन-धान्य के साथ अच्छी सेहत का भी वरदान मिलता है। सांय काल यम दीपदान करना चाहिए।
नरक चतुर्दशी 12 नवंबर रविवार को
कार्तिक कृष्णा अरुणोदय व्यापिनी चतुर्दशी को प्रात:अरुणोदय वेला में उबटन व स्नान कर रूप चतुर्दशी व नरक चतुर्दशी मनाई जायेगी।
इस दिन रूप चौदस,नरक चौदस और छोटी दिवाली के रूप में मनाया जाता है।नरक चतुर्दशी का यह पर्व नरक के दोष से मुक्ति पाने के लिए शाम के समय घर के बाहर विशेष रूप से दीया जलाया जाता है। इस पर्व को रूप चौदस के रूप में भी मनाया जाता है, जिसे लेकर मान्यता है कि इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर उबटन लगाकर स्नान करने से रुप एवं सौंदर्य में वृद्धि होती है। लेकिन इस बार सुबह अरुणोदय वेला में रूप चौदस व शाम को दीपावली मनाई जाएगी।
दीपावली 12 नवंबर रविवार को
कार्तिक कृष्णा प्रदोष व्यापिनी अमावस्या युक्त तिथि को दीपावली पर्व मनाया जाता है।दीपों से जुड़ा महापर्व दीपावली इस वर्ष 12 नवंबर रविवार को ही मनाया जाएगा। क्योंकि इस दिन कार्तिक मास कृष्ण चतुर्दशी को अमावस्या तिथि दोपहर 2:45 बजे लग जाएगी,ऐसे में प्रदोष व्यापिनी अमावस्या में दीपावली के पावन पर्व पर सुख-समृद्धि के दाता भगवान श्री गणेश और धन की देवी मां लक्ष्मी की विशेष रूप से साधना आराधना करने का विधान है। मान्यता है कि दीपावली के पावन पर्व पर विधि-विधान से श्री गणेश और लक्ष्मी व सरस्वती की पूजा करने पर पूरे साल घर में धन-धान्य की कमी नहीं होती है। दीपावली के पावन पर्व पर भगवान कुबेर और मां काली की भी विशेष रूप से साधना की जाती है।
अन्नकूट व गोवर्धन पूजा 14नवंबर मंगलवार को
कार्तिक शुक्ला प्रतिपदा को दीपावली के अगले दिन अन्नकूट या फिर कहें गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है।अगर दूसरे दिन चन्द्र दर्शन हो तो अमावस्या को ही गोवर्धन पूजा पर्व मनाया जाता है। लेकिन इस वर्ष दूसरे दिन अमावस्या है, इसलिए यह पर्व उसके अगले दिन यानि 14 नवंबर मंगलवार को मनाया जाएगा।गोवर्धन पूजा के दिन गोवर्धन पर्वत और गाय की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व है।
भाई दूज 15 नवंबर बुधवार को
कार्तिक शुक्ला अपराह्न व्यापिनी द्वितीया को मनाया जाता है। इस बार मंगलवार व बुधवार को दोनो दिन अपराह्न व्यापिनी दूज होने से बुधवार को ही भैया दूज,यम द्वितीया व बलि पूजा की जायेगी।
दीपों के पंच महापर्व पर आखिरी पर्व भैयादूज के रूप में मनाया जाता है।
जो कि गोवर्धन पूजा के अगले दिन मनाया जाता है। भाई और बहन के प्रेम का प्रतीक माना जाने वाला यह पर्व पर भाई दूज मनाई जायेगी।इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करते हुए उन्हें टीका लगाती हैं, जिसके बदले भाई अपनी बहनों को उपहार देकर आशीर्वाद लेते है।
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