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राजसमंद-प्रज्ञा विहार मुनि अतुल कुमार व मुनि रवींद्र कुमार के सान्निध्य में कन्या मंडल का विदाई समारोह का आयोजन हुआ। कन्या मंडल संयोजिका कनिका मेहता व सह-संयोजिका भावना पगारिया ने विदाई लेने वाली कन्याओं किंजल धींग, सलोनी बापना, तनुश्री मेहता, प्रज्ञा बडाला का स्वागत किया। कन्या मंडल प्रभारी किरण बापना एवं तारा बापना सहित कन्या मंडल उपस्थित रहा।
कन्या मंडल से विदाई लेकर ससुराल जा रही कन्याओं को मोटिवेट करते हुए मुनि अतुल कुमार ने कहा अच्छी पर्सनालिटी से ज्यादा अच्छी मेंटिलिटी व्यक्तित्व के लिए अधिक महत्व रखती है। तन की सुंदरता अस्थिर है लेकिन मन की सुंदरता जीवन की अंतिम सांस तक लोगों के लिए प्रेरणा बनकर जीवंत रहती है। वर्तमान में बदलती आधुनिक वाद की धारणाओं में केवल सौंदर्य को मानव ने अपने तक ही सीमित कर दिया है। चेहरे की सुंदरता दूर से आकर्षित करती है लेकिन मन की सुंदरता के लिए नजदीकियां जरूरी है। इसलिए मन तक पहुंचने की यात्रा थोड़ी लंबी होती है। लेकिन अगर आप किसी के मन से प्रभावित हो गए तो इसके बाद आपकी सारी तलाश खत्म हो जाती है। कहा जाता है कि अगर हमारी आंखें चेहरे की जगह आत्मा यां मन की सुंदरता
देख पाती तो यह दुनिया कुछ अलग होती ।
हमारे रिश्ते और व्यवहार सब अलग होते और सुंदरता की परिभाषा भी अलग होती। एक अच्छा रिश्ता बनाने के लिए अच्छी पर्सनालिटी नहीं बल्कि अच्छी मेंटिलिटी चाहिए । पति भले हैंडसम ना हो परंतु घर चलाने वाला होना चाहिए। किसी भी रिश्ते में ईमानदारी और इज्जत सर्वोपरि होती है। प्यार भरोसा, तालमेल, परस्पर बातचीत और समझदारी सब बाद की बात है। ऐसे तो रिश्ते भी बहुत तरह से चलते हैं। कुछ ड्यूटी समझ कर निभाए जाते हैं तो कुछ मजबूरी में ढोए जाते हैं। कुछ सामाजिक दिखावे के लिए बनाए और निभाए जाते हैं तो कुछ लाभ के लिए सबसे खूबसूरत रिश्ते वो होते हैं जिनमें विचारों की समानता हो और स्वार्थ ना हो। किसी भी रिश्ते में अगर आपने विश्वास खो दिया तो समझिए वो रिश्ता ही खो दिया। वर्तमान युग में स्वार्थ से जुड़े रिश्तों में विश्वास कहां से आए। जीवन समझौते की गाड़ी हो चली है। बस समझौता करते रहो और गाड़ी चलाते रहो। रिश्ते में भरोसा बहुत जरूरी है क्योंकि यह एक रिश्ते की नींव है। भरोसे के बिना कोई रिश्ता स्थाई नहीं हो सकता। किसी भी रिश्तों में विश्वास बनाना नहीं पड़ता बल्कि हमारे आचरण से ही रिश्ते मजबूत और विश्वसनीय बनते हैं। अगर हम बार-बार किसी को कहकर ये एहसास दिलाएं की हम आपके साथ ईमानदार है, लेकिन हमारा आचरण और व्यवहार कुछ और ही बयान कर रहा हो तो रिश्ते कभी मधुर नहीं हो सकते। इसलिए ईमानदारी से हमें हमेशा सरल होना चाहिए। मुनि रवींद्र कुमार ने मंगल पाठ सुनाया।
राजसमंद। राजस्थान साहित्यकार परिषद् कांकरोली की मासिक काव्यगोष्ठी परिषद् के अध्यक्ष त्रिलोकी मोहन पुरोहित की अध्यक्षता एवं गोष्ठी को वरिष्ठ साहित्यकार कमर मेवाड़ी के सानिध्य में संपन्न हुई। गोष्ठी की शुरूआत राजकुमार के आलेख से हुई। भंवर पालीवाल ने अपनी कहानी मरघट का वाचन कर समाज में व्याप्त भूत प्रेत संबंधित अंधविश्वास पर करारा प्रहार किया। युवा साहित्यकार अखिल नागदा ने अपनी कविता इतिहास पर अतिक्रमण लोगों की संकीर्ण होती सोच पर कटाक्ष किया। वरिष्ठ साहित्यकार और समाज सेवी ईश्वर चंद्र शर्मा ने अपना लेख गांधी विचार और राजनीति सुनाकर वर्तमान संदर्भ में अपनी बात कही। अयाज मोहम्मद इलियास ने अपनी गज़ल हम वोट डालने जाएं सुनाई। प्रमोद सनाढ्य ने दोहा विधा में अपनी रचना, राम राज्य की कल्पना प्रस्तुत कर पारिवारिक एकता का संदेश दिया। दीपावली के संदर्भ में अपनी रचना प्रस्तुत करते हुए नगेन्द्र मेहता ने सर्वजन हिताय का अर्थ शास्त्र है दीपावली आलेख पढ़कर दीपावली के महत्व को स्पष्ट किया। राधेश्याम सरावगी ने महफूज़ है खज़ाना मेरे दिल के आंगन में गीत सुनाया। गर्वित सनाढ्य ने कभी मुझे ये सताए, कभी – कभी मुझे ये रुलाए गजल सुनाई। वरिष्ठ साहित्यकार कमर मेवाड़ी ने अपनी कविता तुम्हारी याद में एक कविता प्रस्तुत की।
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