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शरद पूर्णिमा 28 अक्तूबर को-
इस बार शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण सूतक का साया
शरद पूर्णिमा की रात को मंदिरों में ग्रहण शुद्धि के बाद ही लग सकेगा खीर का भोग सुमेरपुर:-25अक्टूबर 2023
ज्योतिषाचार्य पंडित सुरेश गौड़ ने बताया कि आश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते है। इस बार 28अक्टूबर शनिवार को मध्य रात्रि में शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण का साया रहेगा।इस कारण ग्रहण की शुद्धि के बाद ही मंदिरों में लग सकेगा खीर का भोग। पंडित गौड़ ने बताया कि 28 अक्तूबर शनिवार को अश्विनी नक्षत्र व मेष राशि पर खंड ग्रास चंद्र ग्रहण होगा जो भारत में दिखाई देगा।
इस ग्रहण का यम,नियम,सूतक,स्नान – दान का पुण्य नियम मान्य होंगे।इस ग्रहण का सूतक अपराह्न 4:5 बजे से मान्य होगा व ग्रहण का आरंभ रात्रि 1:5 बजे व मोक्ष शुद्धि रात्रि 2:24 बजे होगी। इस दौरान मंदिरों के पट बंद रहेंगे।उसके बाद लगभग मंदिरों में भोर तड़के मंगला आरती के समय ही पट्ट खुलेंगे।पंडित गौड़ ने बताया कि इस दिन ग्रहण सूतक को लेकर आमजन को शंका है कि ऐसे में शरद पूर्णिमा उत्सव कैसे मनावें?
इस पर पंडित गौड़ ने बताया कि किसी भी पर्व को छोड़ने या नहीं मनाने की शास्त्र आज्ञा नहीं देते है। बल्कि शास्त्रों में बताया है कि दूध,दही,मठ्ठा, व घी,तेल में पक्का अन्न व मिठाई में तिल व डाभ रख देने से ये दूषित नही होते है।ऐसे में या तो सूतक लगने के पूर्व दूध में या खीर बनाकर उसमें तिल व डाभ रख कर कपड़े से ढक कर खुल्ले आसमान के नीचे रख दे।
लेकिन ग्रहण व सूतक में इसे स्पर्श न करे।या ग्रहण शुद्धि के बाद स्नानादि से निवृत्त होकर खीर बनाकर आसमान के नीचे रख दे। फिर मंदिरों की शुद्धि करके पूजन आरती कर खीर का भोग लगा सकते है। भले ही कितनी देर हो लेकिन उत्सव छोड़ने की आवश्यकता नहीं है। पंडित गौड़ ने बताया कि धर्म शास्त्रों अनुसार रात्रि में चन्द्र किरणों से अमृत की वर्षा होती है। इस दिन चंद्रमा सोलह किरणों से परिपूर्ण होता है।
इस रात को खीर बनाकर चंद्रमा को खीर में देखा जाता है। और फिर उसका सुबह में सेवन किया जाता है। इसका सेवन करने से कई प्रकार के रोगों से निजात मिलती है या रोगों का असर कम होता है।
अत: दूध या खीर को चंद्रमा के प्रकाश में रखकर इसका सेवन किया जाता है।
पंडित गौड़ ने कहा कि किसी दिव्य औषधि को खीर में मिलाकर शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणों औषधीय गुण कई गुना बढ़ जाते हैं, इसके अलावा दूध में भरपूर चांद की किरणों से मिलने वाला अमृत तत्व मिलता है।चांदी के बर्तन में रोग-प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है। अत: यदि खीर को चांदी के बर्तन में भरकर शरद पूर्णिमा की रात बाहर खुले आसमान में रखा जाए तो वो और भी अधिक लाभदायी होती है।
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