गोयली नवरात्रि में क्यों खेला जाता है डांडिया,जानिए वजह

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गोयली गणेश परमार

गोयली नवरात्रि में क्यों खेला जाता है डांडिया,जानिए वजह

गोयली| कस्बे में पिछले कई वर्षों से परंपरागत नवरात्रि महोत्सव मनाया जाता आ रहा है।

नवरात्रि के शुरु होते ही लोगों में एक अलग ही उत्साह देखने को मिलता है। लोग मां को प्रसन्न करने के लिए व्रत औऱ अराधना करते हैं। इसके साथ ही कई जगहों पर पंडाल लगाएं जाते है जहां मां दुर्गा की भव्य मूर्तियां स्थापित की जाती हैं।

नवरात्रि के शुरु होते ही लोगों में एक अलग ही उत्साह देखने को मिलता है। लोग मां को प्रसन्न करने के लिए व्रत औऱ अराधना करते हैं। इसके साथ ही कई जगहों पर पंडाल लगाएं जाते है जहां मां दुर्गा की भव्य मूर्तियां स्थापित की जाती हैं। जहां लोग एकत्रित होकर भजन-आरती और पूजा-अराधना करते हैं। आपने जगह जगह पर डांडिया नृत्य का आयोजन होते हुए भी देखा होगा। खासकर ग्रामीण इलाकों में डांडिया नृत्य नवरात्रि को बहुत ही खास बनाती है। चलिए आपको बताते हैं कि नवरात्रि में डांडिया क्यों खेला जाता है।

नवरात्रि में क्यों खेला जाता है डांडिया

आपको बता दें कि डांडिया के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले रंग-बिरंगे शेड्स देवी दुर्गा की तलवार का प्रतिनिधित्व करते हैं। और इस खेल को खेलते समय पुरुष और महिलाएं दोनों रंगीन और सजावटी बांस की छड़ियों के साथ ढोलक और तबला जैसे वाद्ययंत्रों पर नृत्य करते हैं। इसे देवी-देवताओं और राक्षसों के बीच युद्ध को प्रस्तुत करने का एक बहुत ही सुंदर तरीका माना जाता है।

डांडिया खेलने का इतिहास

डांडिया का इतिहास गुजरात से जुड़ा हुआ है। यहीं से ही इसकी उत्पती हुई थी। और ये नृत्य केवल नवरात्रि के दौरान ही किए जाते हैं। क्योंकि ये नृत्य देवी दुर्गा और राक्षस महिषासुर के बीच नौ दिवसीय युद्ध का दर्शाने और विजय का प्रतीक माना जाता है, इसमें देवी दुर्गा विजयी हुई थी। इसके साथ ही यह किसी और पर्व में क्यों नहीं खेला जाता। इसके साथ ही नवरात्रि के नौ दिनों में डांडिया खेलना शुभ माना जाता है

डांडिया खेलने का महत्व

नवरात्रि पर डांडिया खेलने का बेहद महत्व है. खासकर गुजरात में गरबा और डांडिया खेलने का प्रचलन सदियों पुराना है. बता दें कि गरबा और डांडिया हमेशा नवरात्रि के पर्व पर दुर्गा माता की प्रतिमा या अखंड ज्योति के सामने ही खेला जाता है.और इसकी शुरुआत नवरात्रि के पहले दिन से ही हो जाती है।

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