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नटवर मेवाड़ा
सांडेराव-परवान पर चढ़ा गरबा महोत्सव,शाम ढलते ही गरबा पांडालो में उमड़ती है भीड़
डीजे की धमचक पर बजते गुजराती गरबा,आर्केस्ट्रा वालों की ओर से गरबों की प्रस्तुतियों पर खनकाए उल्लास के डांडिया
साणडेराव।* स्थानिय नगर सहित आस पास ग्रामीण क्षेत्रों में घट स्थापना से शुरू हुए गरबा महोत्सव की धूम मची हुई है,यहां रंग-बिरंगी रोशनी के साथ फुलमालाओ से माता के देवरे तथा गरबा पांडालो को आकर्षण रूप से सजाएं गएं हैं।
शाम होते ही गांवों के गली-मोहल्लों से युवा-युवतियों की टोली सज-धज कर हांथो में डांडिया लेकर माता के दरबार में आराधना करने पहुंच रहें है। जहां गुजराती गीतों की सरगम पर बड़े ही उल्लास के साथ युवा-युवतियों द्वारा पांडालो में गरबा नृत्य किया जा रहा है।यहां पर गरबा नृत्य को देखने के लिए आस पास ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में प्रशासनिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों सहित ग्रामीणजन पहुंच रहें है।
सिंदरू गाँव में पिछले 40 वर्षों से नवयुवक मंडल के अध्यक्ष शौतान सिंह राणावत के सानिध्य में गरबा महोत्सव का आयोजन अब 41 वीं वर्षगांठ पर गरबा महोत्सव में श्रद्धालुओ की भीड़ उमड़ रही है।नगर के गरबा चौक में स्थित अम्बे माता मंदिर परिसर में अंबेमाता गरबा मित्र मंडल के किशोर सैन,कैलाश कुमावत,नटवर सैन,अशोक माली,गणपत सिंह राठौड़,रामलाल सैन,सुंदर कांजाणी, महावीर मेवाड़ा के सानिध्य में गरबा महोत्सव की धूम मची हुई है। 40 वर्षों से मण्डल के कार्यकर्ता ही संभालते हैं व्यवस्थाएं,राजस्थानी पोशाकों में बिना अंग प्रदर्शन के मर्यादाओं में रहते हुए हों रहें गरबा नृत्य।
नवयुवक मंडल के तत्वावधान में यहां महिलाओं व पुरूषों के बैठने को लेकर अलग अलग व्यवस्था की हुई है तथा पांडाल में भी पहले छोटे बच्चे फिर छोटी बच्चियों के बाद युवाओं का गरबा तथा उसके बाद युवतियों के महिलाओं का सामुहिक गरबा नृत्य बड़ा ही शानदार तरीके से होता है।
सबसे बड़ी बात यह है कि यहां पर कोई भी युवती या महिला अंग प्रदर्शन वाले वस्त्र धारण कर नहीं आ सकतीं हैं सभी मर्यादित पोशाकों में सज धजकर मां अम्बे की आराधना करती भक्ति में मग्न होकर गरबा नृत्य करती है। 40 वर्षों से चल रही यहां की व्यवस्था को देखते हुए हर कोई इस आयोजन में सिर्फ व सिर्फ भक्ति की भावना से ही भाग लेता हैं।
सिंदरू में मां अंबे की आराधना के साथ ही गरबा महोत्सव पूरे योवन के साथ,रंग-बिरंगीरोशनी से जगमगाते पांडाल में विराजमान देवी की प्रतिमा, डीजे के साथ आर्केस्ट्रा वालों की धमचक पर बजते गुजराती गरबा और डांडियों की खनक के साथ लय और ताल से गरबा खेलते सजे-धजे युवक-युवतियां और बच्चे।यही नजारा इन दिनो हर किसी को सिंदरू आने के लिए लालायित कर रहा है,
नवरात्रि महोत्सव के दौरान होने वाले गरबा आयोजन में शाम ढलते ही जैसे ही गरबा पांडालों में गुजराती गीतों की आवाजें सुनाई देने लगती है वैसे ही नृत्य करने वाले सज-धज कर पांडालों की ओर रवाना हो जाते हैं यहां पर देर रात तक रौनक नजर आती है

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