29 सितम्बर से श्राद्ध पक्ष शुरू- 14अक्टूबर तक रहेंगे

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29 सितम्बर से श्राद्ध पक्ष शुरू- 14अक्टूबर तक रहेंगे
जानिये पितृ पक्ष में श्राद्ध की तिथियाँ
सुमेरपुर:28 सितम्बर 2023 ज्योतिषाचार्य पंडित सुरेश गौड़ ने बताया कि इस बार भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा 29 सितम्बर शुक्रवार से महालय पितृ पक्ष प्रारंभ होकर आश्विन कृष्ण अमावस्या 14 अक्तूबर शनिवार तक श्राद्ध पक्ष रहेंगे। अपराह्न काल सामान्यत: दोपहर 01ः38 से सायं 04ः05 बजे तक रहता है। अतः यदि उस समय कोई तिथि रहती है, तो उसी समय श्राद्ध करने का विधान बताया गया है। इस वर्ष श्राद्ध पक्ष 16 दिनों तक चलेगा। लेकिन दिनांक 10 अक्तूबर मंगलवार को कोई श्राद्ध सम्पन्न नहीं होगा।पंडित गौड़ ने श्राद्ध को परिभाषित करते हुए बताया कि दिवंगत पूर्वजो के निमित्त
श्राद्ध के मनाने का मतलब अपने दिवंगत पूर्वजों के प्रति श्रद्धा प्रकट करना है।श्रद्धा सामग्री व मन्त्रॊ के मेल से जो विधि की जाय उसे श्राद्ध कहते है।जिसमें मुख्यत: तर्पण गोग्रास(पंचबली) व ब्राह्मण भोजन है। एक पितृ के निमित्त तीन ब्राह्मणों को भोजन का विधान हैं। भोजन के बाद वस्त्र पादुका व दक्षिणा से ब्राह्मण को संतुष्ट करने से पितृ तृप्त होकर श्राद्ध कर्ता को आशीर्वाद प्रदान करते है। जिस तिथि को प्राणी की मृत्यु होती है। उसी तिथि को उसका श्राद्ध किया जाता है। यदि किसी व्यक्ति को अपने पितरों की मृत्यु तिथि स्मरण न हो तो, वे अमावस्या के दिन उनका श्राद्ध कर सकते है।सुहागिन स्त्री का नवमी तिथि को एवं सन्यासियों का द्वादशी को व दग्ध शस्त्रादि से हुई मृत्यु वालों का चतुर्दशी को श्राद्ध होता है।श्राद्ध तिथि पर अशौच आजाने पर इसकी निवृति हो जाने पर सर्व पितरों का अमावस्या पर श्राद्ध करना चाहिये।
रजस्वला स्त्री को श्राद्ध का भोजन नहीं बनाना चाहिए। यदि किसी कारण से श्राद्ध के दिन घर मे भोजन न बन सके या व्यक्ति घर से बाहर हो तो वह किसी भी मंदिर मे या ब्राह्मण को दूध -फल -शाक-मेवा और मिष्टान देकर श्राद्ध कर सकता है। लेकिन श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।शास्त्रों के अनुसार
श्राद्ध में कुतुप वेला लेनी चाहिए। ये तीन पवित्र है- नेपाली कम्बल -दोहित्र व चांदी।श्राद्ध करने का पहला अधिकार मृतक के बड़े पुत्र का होता है। परंतु यदि बड़ा पुत्र न हो अथवा वह श्राद्ध आदि कर्म न करता हो तो छोटा पुत्र श्राद्ध कर सकता है। यदि किसी परिवार में सभी पुत्र अलग-अलग रहते हों तो, सभी को अपने पितरों का श्राद्ध करना चाहिए। यदि किसी का कोई पुत्र न हो तो उसकी विधवा स्त्री श्राद्ध करवा सकती है। तथा पत्नी के न होने पर उसका पति भी पितरों के निमित्त श्राद्ध करने का अधिकारी है।पंडित गौड़ ने बताया कि इस बार कौन सा श्राद्ध किस तिथि में किस दिन करना चाहिए ये अंग्रेजी दिनांक के क्रम में देखें- ज्योतिषाचार्य पंडित सुरेश गौड़ ने बताया कि भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक मनाया जाने वाला महालय पितृपक्ष 29 सितंबर शुक्रवार से शुरू होकर 14 अक्टूबर शनिवार तक रहेंगे।पंडित गौड़ ने बताया कि अपराह्न काल में ही श्राद्ध करे। श्राद्ध दोपहर 12 बजे बाद ही करे दोपहर 01:38 बजे से अपराह्न 04:05 बजे के मध्य मौजूद तिथि में ही करना चाहिए।
29 सितम्बर शुक्रवार को पूर्णिमा व प्रतिपदा का श्राद्ध,प्रौष्ठ पदी श्राद्ध है।
30 सितम्बर शनिवार को द्वितीया का श्राद्ध है।
01 अक्टूबर रविवार को तृतीया का श्राद्ध है।
02 अक्टूबर सोमवार को चतुर्थी का श्राद्ध, भरणी का श्राद्ध है।
03 अक्टूबर मंगलवार को पञ्चमी का श्राद्ध,कृतिका का श्राद्ध है। 04 अक्टूबर बुधवार को षष्ठी का श्राद्ध है।
05 अक्टूबर गुरुवार को सप्तमी का श्राद्ध है।
06 अक्टूबर शुक्रवार को अष्टमी का श्राद्ध है।
07 अक्टूबर शनिवार को नवमी का श्राद्ध, व सौभाग्यवती स्त्रियों का श्राद्ध है।
08 अक्टूबर रविवार को दशमी का श्राद्ध है।
09 अक्टूबर सोमवार को एकादशी का श्राद्ध है।
10 अक्टूबर मंगलवार को मघा का श्राद्ध है।
11 अक्टूबर बुधवार को द्वादशी का श्राद्ध, सन्यासियों का श्राद्ध है।
12 अक्टूबर गुरुवार को त्रयोदशी का श्राद्ध है।
13 अक्टूबर शुक्रवार को चतुर्दशी का श्राद्ध, विष- दग्ध, शस्त्रादि से मृतकों का श्राद्ध है।
14 अक्टूबर शनिवार को सर्वपितृ अमावस्या, देव—पितृ अमावस्या, पूर्णिमा-अमावस्या श्राद्ध, जिन पूर्वजो की मृत्यु तिथि का पता नहीं है, उन सभी का श्राद्ध इस दिन करे।

  • पंडित सुरेश गौड़ -सुमेरपुर
    मो.9414463687

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