
PALI SIROHI ONLINE
नई दिल्ली-कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व राजस्थान में टिकट चयन प्रक्रिया के प्रारंभिक चरण को सिर्फ प्रदेश चुनाव समिति और स्क्रीनिंग कमेटी के भरोसे नहीं छोड़ना चाहता। पैनल बनने से लेकर नाम फाइनल होने तक दिल्ली का पूरा दखल रहेगा। एआईसीसी का पूरा फोकस है कि एक भी कमजोर और सिफारिशी उम्मीदवार मैदान में न आने पाए।
सत्ता के बावजूद साढ़े चार साल तक राजस्थान में चली खेमेबाजी के कारण कयास लगाए जा रहे थे कि टिकट चयन में सभी गुटों को शांत करने की कोशिश होगी, लेकिन यह सिर्फ कयास ही साबित होंगे। एआईसीसी ने उम्मीदवार चयन में जुटे सीनियर नेताओं को स्पष्ट कर दिया है कि उन्हीं लोगों को टिकट मिलेंगे, जो जीत की गारंटी पूरी करते हों। यही कारण है कि राजस्थान में प्रदेश चुनाव समिति और प्रदेश स्क्रीनिंग कमेटी बनाए जाने के बावजूद वरिष्ठ नेता मधुसूदन मिस्त्री और शशिकांत सेंथिल को प्रत्याशियों की खोजबीन से लेकर पैरलल स्क्रीनिंग के लिए हाईकमान ने बड़ी भूमिका में रखा है।
सीधे हाईकमान को रिपोर्ट करेंगे मिस्त्री
प्रदेश चुनाव समिति और स्क्रीनिंग कमेटी प्रदेशभर से चुनाव लड़ने के इच्छुक नेताओं के बायोडेटा पर मंथन से लेकर वन-टू-वन के प्रोसेस में जुटी हुई है; वहीं, एआईसीसी की ओर से तैनात किए गए सीनियर ऑब्जर्वर मिस्त्री अपने 25 ऑब्जर्वर्स और अन्य सीनियर नेताओं की अगुवाई में हर सीट पर जिताऊ उम्मीदवारों की तलाश कर रहे हैं।
मिस्त्री ने हाल ही पाली, जालोर, जोधपुर, नागौर, बीकानेर, उदयपुर समेत कई क्षेत्रों का दौरा किया है। मिस्त्री सीधे राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी को रिपोर्ट करेंगे। इस टीम की रिपोर्ट को स्क्रीनिंग कमेटी की रिपोर्ट के साथ
मिलान करने के बाद ही सेंट्रल इलेक्शन कमेटी में राजस्थान के उम्मीदवार घोषित होंगे।
‘तेरा मेरा’ नहीं चलेगा इस बार
ऐसा पहली बार है कि टिकट चयन की प्रक्रिया को कांग्रेस ने इस तरह से चाकचौबंद किया है कि प्रदेश के सीनियर नेताओं की सिफारिशों पर कम जनाधार वाले नेताओं को टिकट नहीं मिल सके। इसका सीधा मतलब है कि राष्ट्रीय नेतृत्व पिछली बार की गलतियों को दोहराना नहीं चाहता। पिछली बार राजस्थान में पायलट और गहलोत समर्थकों की लड़ाई के चलते कई सीटों पर बगावत के कारण कांग्रेस के उम्मीदवार हार गए थे।
बाद में जिन 13 निर्दलीयों ने गहलोत सरकार को समर्थन दिया उनमें से ज्यादातर निर्दलीय कांग्रेस के ही बागी विधायक थे। ऐसे में इस बार हर सीट पर किसी बड़े नेता की सिफारिश से नाम तय होने के बजाय, यह देखा जा रहा है कि कौन कितनी हैसियत रखता है और किस दावेदार के समीकरण पार्टी के लिए कितने पक्ष में हैं?
राहुल के बयान के पीछे का सच
इस बीच, राहुल गांधी का नया बयान चर्चा में है, जिसमें उन्होंने कहा था कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस जीत रही है जबकि राजस्थान में बराबर का मुकाबला है। राहुल के बयान का मतलब निकाला जा रहा है कि अगर टिकटों का चयन सही हुआ और कांग्रेस ने मजबूती से चुनाव लड़ा तो राजस्थान में बराबर के मुकाबले को जीत में बदला जा सकता है।
बहरहाल, टिकट चयन प्रक्रिया के लिए प्रदेश चुनाव समिति और स्क्रीनिंग कमेटी के बावजूद मधुसूदन मिस्त्री और शशिकांत सेंथिल की टीम के जरिए चल रही उम्मीदवारों की खोज, एक तरह से हाईकमान के पैरेलल सिस्टम को दर्शाती है। मिस्त्री और सैंथिल राजस्थान में दिल्ली की तीसरी आंख के तौर पर काम कर रहे हैं।
ऑब्जर्वर्स की दो दिन की मीटिंग में क्या होगा? जयपुर में 30 सितंबर और एक अक्टूबर को होने वाली मीटिंग में सभी ऑब्जर्वर्स मिस्त्री को रिपोर्ट सौंपेंगे। रिपोर्ट में बताया जाएगा कि किस सीट से किस-किस का नाम निकल कर आ रहा है? कौन जीतने वाला है, कौन हारने वाला है? जीतने वाला है तो कैसे जीतेगा? हारने वाला है तो क्यों हारेगा?
इसके साथ ही जिन सीटों पर पिछले चुनाव में कांग्रेस की हार हुई, उनका पूरा एनालिसिस भी होगा कि कहां किस वजह से पार्टी के उम्मीदवार हारे ताकि इस बार वहां समीकरण सुधारकर पिछली गलतियों को नहीं दोहराया जाए। दो दिन की मीटिंग के बाद मिस्त्री अपनी रिपोर्ट कांग्रेस हाईकमान को सौंपेगे। चूंकि मधुसूदन मिस्त्री केंद्रीय चुनाव समिति में भी शामिल हैं। इसलिए जब स्क्रीनिंग कमेटी की ओर से सौंपे जाने वाले पैनल पर सीईसी में चर्चा होगी तो मिस्त्री की रिपोर्ट की भूमिका भी अहम रहेगी।
2 अक्टूबर के बाद शुरू होगा फाइनल दौर
सूत्रों के अनुसार कांग्रेस में टिकटों के चयन के लिए फाइनल दौर 2 अक्टूबर के बाद शुरू होगा। प्रदेश इलेक्शन कमेटी अपना पैनल स्क्रीनिंग कमेटी को सौंपेंगी। पैनल में एक से लेकर तीन नाम होंगे जिन सीटों पर विधायक जीतने की स्थिति में है और जहां पिछली बार हारने वाले उम्मीदवार को रिपीट करने से जीत मिल सकती है, उन सीटों पर एक-एक नाम होंगे।
बाकी सीटों पर जीतने की क्षमता रखने वाले दो या तीन नाम भी हो सकते हैं। स्क्रीनिंग कमेटी इस पर अपनी राय के साथ संभावित दावेदारों की सूची केंद्रीय चुनाव समिति को भेजेगी। केंद्रीय चुनाव समिति में स्क्रीनिंग कमेटी और मधुसूदन मिस्त्री की टीम की ओर से सौंपे जाने वाले पैनल पर मंथन होगा।
तीनों कमेटियों के निचोड़ के आधार पर केंद्रीय चुनाव समिति फाइनल फैसला करेगी। यानी सितंबर तक ज्यादातर चेहरे सामने लाने के दावे करने वाली कांग्रेस की पहली सूची की संभावना 15 अक्टूबर से पहले दिखाई नहीं दे रही।
पाली सिरोही ऑनलाइन के सोशियल मीडिया हैंडल से जुड़ें…
ट्विटर
twitter.com/SirohiPali
फेसबुक
facebook.com/palisirohionline
यूट्यूब चैनल सब्सक्राइब करें
https://youtube.com/channel/UCmEkwZWH02wdX-2BOBOFDnA