जंगल में भटक गए दो पर्यटक: रेस्क्यू टीम ट्रेस की लाइव लोकेशन, 9 घंटे में 14 किमी का सफर; सुरिक्षत निकाला

PALI SIROHI ONLINE

माउंट आबू-विश्व पर्यटन दिवस पर माउंट आबू घूमने आए दो टूरिस्ट रास्ता भटक गए और जंगल में 7 किलोमीटर तक भटकते रहें। ट्रेवर्स टैंक में देर शाम तक टूरिस्ट की गाड़ी खड़ी रहने पर गॉर्ड को शक तो उसने वनविभाग को सूचना दी, छानबीन करने पर दो पर्यटकों के जंगल में होने की बात सामने आई। जिसपर गाइड महेंद्रदान चारण उर्फ चार्ली की टीम शिवा राणा, इकबाल खान, राहुल चौहान, राजवीर राणा ने टूरिस्ट की लाइव लोकेशन ट्रेस कर रात में 9 घंटे का रेस्क्यू कर गुजरात के दो टूरिस्ट को सुरक्षित जंगलों से बाहर निकाला।

7 किलोमीटर अंदर चले गए माउंट शहर में बुधवार को दो टूरिस्ट दिनेश एवं मौलिक निवासी अहमदाबाद (गुजरात) से घूमने आए थे। दोपहर बाद वे माउंट आबू के वनविभाग के ट्रेवर्स टैंक में घूमने गए। दोनों ने ट्रेवर्स टैंक में अपनी गाड़ी खड़ी की और पैदल-पैदल मिनी नक्की लेक के पास के जंगल में पहुंचे। वहां से वे जंगल में करीब 7 किलोमीटर अंदर चले गए और समय पर वापस नहीं लौटे। सूचना मिलने पर रेंजर गजेंद्र सिंह की वनविभाग टीम एवं रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची।

गाड़ी खड़ी होने पर गॉर्ड को हुआ शक
ट्रेवर्स टैंक में देर शाम के बाद अंदर जाना प्रतिबंध है और • शाम होने से पहले सभी टूरिस्ट गेट से बाहर निकल जाते हैं। लेकिन बुधवार देर शाम तक दोनों टूरिस्ट की कार ट्रेवर्स टैंक के अंदर खड़ी रही, जिसके आसपास कोई नहीं दिखाई दिया। इस पर वहां मौजूद वन विभाग के गॉर्ड को शक हुआ कि कोई टूरिस्ट जंगल में रह गया है। गार्ड ने इसकी सूचना वन्य रेंजर अधिकारी गजेंद्र सिंह को दी। सूचना पर वनविभाग की टीम राजकुमार यादव और रेस्क्यू टीम चार्ली, शिवा राणा, इकबाल खान, राहुल चौहान, राजवीर राणा मौके पर पहुंचे। टूरिस्ट की आसपास तलाश की गई, नहीं मिलने पर रेस्क्यू शुरू किया।

9 घंटे में 14 किमी सफर, लाइव लोकेशन की ट्रेस गाइड महेंद्रदान चारण उर्फ चार्ली ने बताया कि हमने फॉरेस्ट टीम के साथ दोनों टूरिस्ट को ट्रेवर्स टैंक के आसपास सभी जगह ढूंढा, लेकिन कुछ पता नहीं चला। रात 8 बजे हमने रेस्क्यू करने का फैसला किया। सबसे पहले होटल दोनों टूरिस्ट के नंबर लिए और उन्हें लगातार कॉल किया। बहुत देर बाद एक टूरिस्ट ने कॉल उठाया। टूरिस्ट ने फोन की बैटरी 30% रहने की बात कही। तब हमने उन्हें फोन को सेवमोड पर रख कर, व्हाट्सएप पर लाइव लोकेशन भेजने के लिए कहा।

उसके बाद फोन पर संपर्क नहीं हो पाया। टूरिस्ट की भेजी गई लाइव लोकेशन को हमने जंगल 7 किलोमीटर तक ट्रेस किया। उबड़ खाबड़ रास्तों से जब हम लोकेशन पर पहुंचे तब रात के 2 बज गए थे। वहां से हमने उन्हें फिर फोन करके संपर्क करने की कोशिश की। कुछ देर के बाद उनसे संपर्क हुआ तो हमने फ्लैश लाइट चालू करके चारों तरफ दिखाई और आवाजें दी, ताकि हमारी आवाज सुनकर वह रिकॉल कर सके। थोड़ी देर बाद उन्हें हमारी आवाज सुनी और मोबाइल की फ्लैश लाइट देखी। हमने फिर से आवाज लगाई तो हमें पता चल गया कि हम उनके आसपास हैं। लगभग ढाई से तीन बजे के बीच हम टूरिस्ट तक पहुंचे। हमने देखा कि वह बिल्कुल सुरक्षित है।

मीठा, नमकीन बिस्किट और एनर्जी ड्रिंक ले गए थे साथ गाइड चार्ली ने बताया कि रेस्क्यू के समय हम बैग में मीठा, नमकीन दो प्रकार के बिस्कुट और एनर्जी ड्रिंक साथ में ले गए थे, क्योंकि हमें अंदाजा नहीं था कि टूरिस्ट किस हाल में होंगे। जब हमारा उनसे फोन पर संपर्क हुआ था तब उन्होंने एक बोतल में थोड़ा सा पानी होने की बात कही थी। हमने उन्हें जरूरत पर ही पानी खर्च करने को कहा था। क्योंकि हमें पता नहीं था कि हम कब तक उनके पास पहुंचेंगे। जंगली जानवरों का खतरा था चार्ली ने बताया कि रेस्क्यू जंगल में होने की वजह से हमें जंगली जानवरों लेपर्ड, मादा भालू, जहरीले रसल वाइपर का डर बना हुआ था। कि कही कुछ भी अनहोनी घटित न हो जाए।
गीली घास और चिकनी चट्टानें राह में बन रही थी बाधा चार्ली ने बताया कि रेस्क्यू के लिए जाते समय और वापस आते समय चट्टानों पर जमी काई और गीली घास पर हमारे ट्रैकिंग के जूते भी फिसल रहे थे। अंधेरी रात में ऊबड़-खाबड़ रास्ते रेस्क्यू में बाधा बन रहे थे। हमने हार नहीं मानी और हमारी लोगों की टीम दोनों टूरिस्ट को सुबह 5 बजे सुरक्षित ट्रेवर्स टैंक ले आई।

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