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रानीवाड़ा-रानीवाड़ा के आपेश्वर महादेव मंदिर के जीर्णोद्वार का विवाद हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद जीर्णोद्वार के लिए इकट्ठा की गई राशि को देवस्थान विभाग जोधपुर ने अधिग्रहित कर बैंक में जमा कराया है। यह राशि 73 लाख से ज्यादा है। राजस्थान हाईकोर्ट के वकील वासुदेव चारण ने बताया कि सेवाडिया गांव में सदियों पुराना आपेश्वर महादेव मंदिर है। इस मंदिर का संचालन महंत रतनभारती और रविन्द्रभारती करते आए है। पिछले दिनों 48 खेड़ा गांवों के लोगों ने शामिल होकर मंदिर के जीर्णोद्वार करने का निर्णय लिया गया। मंदिर के पुराने ढांचे को खुलवा भी दिया।
बाद में, मंदिर निर्माण के संचालन को लेकर कुछ लोगों ने श्री आपेश्वर महादेव विकास समिति का गठन कर महेन्द्रसिंह बड़गांव को अध्यक्ष बनाया। जिस पर सेवाडिया मठ के महंत रतनभारती महाराज ने एतराज जताया। जीर्णोद्वार के लिए एकत्रित हुई राशि 73 लाख 57 हजार मंदिर सभा भवन में तीन अलग अलग चाबियों वाली अलमारी में रखी गई। जिनकी चाबी तीन व्यक्तियों के पास रही।
मंदिर संचालन में विवाद होने पर आपेश्वर महादेव विकास समिति ने इस राशि के अधिग्रहण को लेकर देवस्थान विभाग को अपील की। क्योंकि, उसमें 12 लाख रुपए के 2 हजार के नोट भी थे जो 30 सितंबर को बंद होने को थे । ऐसे में देवस्थान विभाग ने विकास समिति के नाम आदेश कर दिए। बाद में इन आदेशों को लेकर सेवाडिया मठ हाईकोर्ट गया और वहा से स्टे ले आया।
हाईकोर्ट ने सुनवाई कर देवस्थान विभाग को आदेश किया कि जब तक मंदिर के संचालन को लेकर टाइटल स्पष्ट नहीं होता है, तब तक मंदिर जीर्णोद्वार के लिए एकत्रित की गई राशि 73 लाख 57 हजार को देवस्थान विभाग के सहायक आयुक्त के नाम से बैंक में जमा रखे इस तरह आज देवस्थान विभाग जोधपुर से सहायक कमिश्नर ओमप्रकाश पालीवाल ने टीम के साथ सेवाडिया मंदिर पहुंचकर हाईकोर्ट के आदेशों की पालना की।
महंत रतनभारती, उनके शिष्य रविन्द्रभारती, विकास समिति के प्रतिनिधि रघुवीरसिंह आजोदर, उपप्रधान महादेवाराम देवासी, लखमाराम चौधरी, फौजसिंह डाभी, एसडीएम भागीरथराम जानु, वृताधिकारी पुष्पेन्द्र वर्मा, थानाधिकारी मोहनलाल गर्ग, तहसीलदार रामलाल जाट, एसबीआई के मैनेजर अनिल महला सहित टीम ने तीन तालों वाली अलमारी खोलकर 73 लाख 57 हजार 430 रूपए की मशीन से गिनती कर रानीवाड़ा एसबीआई बैंक में सहायक आयुक्त देवस्थान विभाग के नाम से नया खाता खोलकर जमा करवाए।
इस मौके पर मंदिर के अधीन आने वाले 48 गांवों के सभी जाति समाजों के लोगों ने भाग लेकर पूरी प्रक्रिया देखी। मंदिर निर्माण के लिए एकत्रित की गई राशि के सरकारी खातों में जमा होने से निर्माण कार्य बंद हो गया है। ऐसे में प्राचीन शिवलिंग खुले आसमान में पूजा जा रहा है। विवाद के चलते भक्तों में रोष देखा जा रहा है।
सेवाडिया मठ के महंत रतनभारती ने बताया कि मठों में ट्रस्ट बनाने की कही परंपरा नहीं है। यदि ऐसी परंपरा शुरू हुई तो साधु संतो महंतों की जरूरत ही क्यों होगी सभी मंदिरों में पुजारी काफी होंगे। मारवाड़ के अधिकांश मठों का संचालन महंत की करते है ना कि कोई विकास समिति या ट्रस्ट । वही, देवस्थान विभाग के सहायक आयुक्त पालीवाल ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेशों की पालना के तहत कार्रवाई की गई है।
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