क्या वन विभाग की लापरवाही से बिज्जू का परिवार खत्म: अब बचे 56, संरक्षित प्राणी को दो हजार के लिए जिम्मेदारों ने मरने के लिए छोड़ा ?

PALI SIROHI ONLINE

सिरोही। छिपाओली, ब्रह्मपुरी, पितलियावास तथा धानेटिया लाइन में पिछले सवा महीने से घूम रहे मां और तीन बच्चों के बिज्जू के परिवार को वन विभाग ने रेस्क्यू कर जंगल में छोड़ने के बजाय भगवान भरोसे शहर के ईट पत्थर के बने खंडहरनुमा मकानों के जंगल में छोड़ दिया, इसके चलते एक-एक कर चारों वन्यजीवों की मौत हो गई। सरकारी आंकड़ों को देखा जाए तो सिरोही जिले में छोटे बिज्जूओं की संख्या वन विभाग की गिनती में मात्र 60 तथा बड़ों की संख्या 20 गिनी गई थी, इन आंकड़ों को सही माना जाता है तो इनके अनुसार जिले अब सिरोही में मात्र 56 छोटे बिज्जू बचे हैं।

जानकारी के अनुसार सिरोही जिला मुख्यालय के छिपाओली में गत 13 अगस्त को एक शीतला माता मंदिर से थोड़ी ही दूरी पर एक खंडहर नुमा मकान में रात करीब 8:30 बजे एक बिज्जू नजर आया था। जिसकी कुछ लोगों ने वीडियो भी बनाए और वन विभाग को सूचना दी। दूसरे दिन वन विभाग के कर्मचारी आए और कहा कि बिज्जू पकड़ने के लिए दूसरा आदमी लाना पड़ेगा, हमारे पास कोई पकड़ने वाला नहीं है. दूसरा आदमी जो आएगा
उसे दो हजार रुपए देने होंगे। इस पर वहां मौजूद लोगों ने कहा यह काम हमारा नहीं है, वन विभाग का है, हम क्यों दें पैसा लोगों की बात सुनकर वन विभाग के कर्मचारी वापस लौट गए।

घटना के बाद 27 अगस्त की शाम को एक बिज्जू के बच्चे को कुछ कुत्तों ने मार दिया, इसकी सूचना डीएफओ को दी गई, उनके निर्देश पर कर्मचारी आया और शव लेकर चला गया, उसके बाद 29 अगस्त की रात को कुछ कुत्तों ने एक और बिज्जू के बच्चे को मार दिया, उसके शव को नगर परिषद के सफाई कर्मचारी ले गए। इसके बाद 17 सितंबर की शाम को एक और बीजू को कुछ कुत्तों ने मार दिया, इसकी सूचना डीएफओ को दी गई उन्होंने वापस शव को ले जाकर वन विभाग की नर्सरी में रखवा दिया।

लेकिन डॉक्टरों की हड़ताल के कारण उसका पोस्टमार्टम नहीं हो सका। शव सड़ने के कारण मजबूरी में वन विभाग को विभाग के नियमानुसार उसका अंतिम संस्कार करना पड़ा, इसके बाद चौथे बीजू की 23 सितंबर की देर शाम को मरने की सूचना वापस डीएफओ को दी गई, थोड़ी ही देर बाद उनके कर्मचारी पहुंचा और बिज्जू को प्लास्टिक की थैली में डालकर रवाना हो गया, जिसका रविवार को पशु अस्पताल के डॉक्टरों की हड़ताल के कारण वन विभाग ने विभागीय नियमों के अनुसार कार्रवाई करते हुए बिज्जू का रविवार दोपहर को अंतिम संस्कार कर दिया।

बिज्जू क्या हैं बिज्जू एक स्तनधारी जानवर है जो भारतीय उपमहाद्वीप
दक्षिण पश्चिम एशिया और अफ्रीका में मिलता है। यह एक मांसाहारी प्राणी है। अपने लड़ाके स्वभाव और मोटी चमड़ी के कारण अन्य जानवर इससे दूर रहते हैं और अन्य खूंखार प्राणी भी इस पर हमला कम करते हैं। अलग-अलग प्रजाति होने के कारण भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में भी बिज्जू मौजूद है। इनके पैर में पांच मजबूत नाखून होते हैं जो मांद खोदने के काम आते हैं, यह आगे के पैर से मांद खोदता है और पिछले पैरों से मिट्टी दूर फेंकता जाता है। यह आलसी होता है और मंद गति से चलता है यह सर्वभक्षी है। कबर बिज्जू की आंखें बेहद छोटी होती है। आमतौर पर यह जानवर मनुष्य को देखते ही भागते हैं लेकिन यह अधिक संख्या में है तो मनुष्य को घेर कर हमला कर देते हैं, वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की अधिसूची-1 के भाग (एक) में रखा गया है, वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत बीजू संरक्षित प्राणी है।

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