अब गौवंश नहीं रहेगा भूखा, नागौर का एक गांव कर रहा भरपेट घास का इंतजाम

PALI SIROHI ONLINE

Degana: नागौर जिले के डेगाना उपखण्ड के ग्राम जालसू नानक में गोशाला के गौवंश के लिए ग्रामीणों की अनोखी पहल देखने को मिली. यहां 600 गायों के सालभर के चारे के इंतजाम के लिए गांव के बाहर पड़ी गोचर भूमि पर गांव के ग्रामीणों एक जुट हो कर काम शुरू किया.

ग्रामीण अपने-अपने ट्रेक्टर लेकर पहुंचे और 51 ट्रेक्टरों से 150 बीघा गोचर जमीन पर जुताई का शुरू कर दिया.इसके बाद ट्यूबवेल से सिंचाई कर इस जमीन पर चारे के लिए बाजरा और रिजका उगाया जाएगा.

ताकि साल भर बेसहारा गौवंश को हरा चारा मिल सके. अगले कुछ दिन में यहां घास की बुवाई कर दी जाएगी और इसके बाद ट्यूबवेल से सिंचाई की जायेगी. इस तरह गोचर की 150 बीघा भूमि पर चारा उगना शुरू हो जाएगा. ग्रामीणों का कहना है कि इससे गायों के लिए चारे का हमेशा के लिए समाधान हो जाएगा.

इस नेक काम में श्रमदान करने के लिए दूसरे गांवों से भी लोग यहां पहुंचे और गौ सेवा में अपना योगदान दिया .जालसू सरपंच ने बताया कि 51 ट्रैक्टर से जमीन पर जुताई की गई है. अब आगामी दिनों में सामूहिक रुप से चंदा जुटाकर ग्रामीण इस गौचर जमीन की 5 लाख की लागत से तारबंदी भी कराएंगे. ताकि कोई भी इस जमीन पर अतिक्रमण न कर पाए. ग्रामीणों का कहना है कि नागौरी गौवंश विश्वभर में प्रसिद्ध है. इसके पीछे सामाजिक ताना-बाना, मान्यताएं और रवायतें हैं. मारवाड़ में हर गांव में गौवंश के लिए जमीन छोड़ी जाती है. इस जमीन पर पूरा गांव श्रमदान कर गायों के लिए चारा उगाता है.

जोधपुर दरबार के समय से ये परंपरा चली आ रही है.  रेवेन्यू रिकॉर्ड में ये जमीन गोचर ही दर्ज होती है.हर महीने अमावस्या के दिन गौशाला में गांव की मीटिंग होती है. गौसेवक इस मीटिंग में शामिल होते हैं और गायों की सेवा में नए काम के सुझाव का आदान-प्रदान होता है. इसके बाद काम तय होने के बाद पूरा गांव श्रमदान में जुट जाता है. चारे की कटाई के समय भी पूरा गांव उत्सव की तरह श्रमदान में जुटता है.

गीत संगीत पर नाचते थिरकते गौसेवा में पूरा गांव जुटता है. इस दौरान सरपंच कैलाश महिया की अध्यक्षता में जमीन की जुताई के काम में ग्रामीण अंकित महिया,शेखर, भूराराम, शिवराम, लिखमाराम, शिवराम, चुतराराम, भंवराराम, हनुमानराम, नाथूराम, प्रभुराम महिया, जगदीश, पीराराम ,राजूराम, जीयाराम, पप्पूराम, रामसुख भादू, रविन्द्र भादू, रिछपाल, भंवराराम भादू, जस्साराम, शेखर भादू, राजू, सेवाराम, नैनाराम, अणदाराम, संजय कुमार, छोटूराम, मुन्नाराम, मुकेश, रिछपाल, शिवपाल, सुरेश, महेंद्र फौजी, कमल मेहरा, सांवता राम और बुद्धराम सहित गांव के हर घर से कोई ना कोई श्रमदान के लिए मौजूद रहे.

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