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पाली, 3 जून। जिला कलक्टर अंश दीप ने कहा कि राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण न्यायालय के प्रदूषण के संबंध में दिए गए निर्देशों की अक्षरक्षः पालना हर हाल में करनी होगी। उन्होंने सीईटीपी के पदाधिकारियों से जेडएलडी प्लांट की प्रगति की जानकारी लेते हुए निर्धारित समयावधि में कार्यवाही करने को कहा। जिला कलक्टर ने अन्य संबंधित विभागीय अधिकारियों को एनजीटी की ओर से दिए गए निर्देशों की पालना करने की हिदायत दी।
जिला कलक्टर ने गुरूवार को एनजीटी के निर्देशों की समीक्षा बैठक में कहा कि प्रदूषित पानी को निर्धारित मानकों पर उपचारित किया जाए। उन्होंने परिवहन अधिकारी से नियमित पानी के टैंकरों की जांच करने तथा जहां कहीं भी संदिग्धता मिले टैकरों की सघन जांच करने को कहा।
टैकरों से पानी के सैम्पल लिए जाए एवं रिपोर्ट के आधार पर दोषी वाहन मालिक के विरूद्ध कार्यवाही की जाए।
उन्होंने डिस्काॅम के अधीक्षण अभियंता से अवैध रूप से संचालित औधोगिक इकाईयों के काटे गए कनेक्शन की रिपोर्ट मांगी गई। उन्होंने नगर परिषद को एसटीपी कनेक्शन बढ़ाने एवं एक हजार कनेक्शन प्रतिसप्ताह के लक्ष्य को अर्जित करने को कहा।

केमिकल युक्त दूषित पानी की जांच हेतु नियमित सैम्पलिंग कर स्त्रौत का पता लगा कार्यवाही करने के निर्देश दिए। उन्होंने क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अधिकारियों को निर्धारित नियमों की पालना नहीं करने वाली औधोगिक इकाईयों के विरूद्ध सख्त कार्यवाही करने की हिदायत दी। उन्होंने विभिन्न स्तरों पर गठित दलों द्वारा नियमित रूप से जांच कर रिपोर्ट साप्ताहिक बैठक में पेश करने की भी हिदायत दी।
जिला कलक्टर ने सीईटीपी के पदाधिकारियों से सीसीटीवी कैमरे, फलोमीटर, स्काडा सिस्टम, प्राईमरी ट्रीटमेंट आदि व्यवस्था की विस्तृत जानकारी ली।
रीको द्वारा रोके हटाने के बाद सर्विलेंस टीमों द्वारा संघन निगरानी रखने के निर्देश दिए। साथ ही पीएचईडी को वाॅटर सप्लाई संबंधित आंकडें पोल्यूसन बोर्ड से साझा करने की बात कहीं। बैठक में जिला कलक्टर ने रीको ड्रेनेज से अतिक्रमण हटाने एवं गश्त बढ़ाने की बात कहीं।
उन्होंने कहा कि अवैध कुओं से पानी लिया जा रहा है उसकी जांच जरूरी है। उन्होंने अधिकारियों से अवैध कुओं से पानी का परिवहन रोकने के निर्देश दिए।

उन्होंने कहा कि बिना कंसेंट टू आॅपरेट पाली शहर समेत जिले में कोई भी औद्योगिक इकाई संचालित नहीं होनी चाहिए। जो औद्योगिक इकाईयां संचालित हो रही है उनमें से भी प्राईमरी ट्रीट करने के बाद ही पानी छोड़ा जाना चाहिए। इसके लिए टीमें बनाई गई है जो निरंतर औद्योगिक क्षेत्रों में वाॅल की जांच कर सीईटीपी में लिए जा रहे पानी की जांच कर रही है। उन्होंने कहा कि जिन औद्योगिक इकाईयों में रोस्टर प्रणाली लागू की है उसका पालन नहीं करने वाली इकाईयों के खिलाफ कार्यवाही की जाए। प्रदूषित पानी को निर्धारित मानक पर उपचारित किया जाए।
उन्होंने कहा कि शहर में बिछाई गई सीवरेज से एसटीपी तक पहुंचने वाले पानी की मात्रा काफी कम है, इस कारण सिटी सीवरेज का पानी ट्रीट कर उद्योगों को देने की रफ्तार भी काफी कम है। उन्होंने सीवरेज योजना से जु़ड़े अधिकारियों को हाउस कनेक्शन करने की रफ्तार बढ़ाने को कहा। बैठक में प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के अधिकारियों ने औद्योगिक इकाईयों में प्रदूषण रोकने के लिए अब तक की गई प्रगति का ब्योरा दिया। उन्होंने बताया कि सभी औद्योगिक इकाईयों का स्काडा सिस्टम से जोड़ा जा चुका है और उनमें फ्लोमीटर, सीईटीपी इनलेट व आॅउटलेट पर पूरी माॅनिटरिंग की जा रही है।
बैठक में अतिरिक्त जिला कलक्टर चन्द्रभानसिंह भाटी, उपखण्ड अधिकारी देशलदान चारण, प्रदूषण नियंत्रण मण्डल क्षेत्रीय अधिकारी आर.के.बोडा, विधि परामर्शी अरविन्दसिंह राजपुरोहित, तहसीलदार पंकज जैन, सीईटीपी के अध्यक्ष अनिल गुलेच्छा समेत विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।
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