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पाली। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत के निर्देशानुसार महात्मा गांधी नरेगा एवं अन्य ग्रामीण विकास योजनाओं के कार्यों को पुनः प्रारम्भ करने के निर्देश जारी कर दिये गये है जिसमें सामुदायिक विकास के कार्यों को भी तुरन्त प्रभाव से शुरू करने का निर्णय किया गया है। राज्य सरकार एवं ग्रामीण विकास विभाग की ओर से कार्यों के लिए जारी की गई गाईड लाइन की पालना करवाने के निर्देश दिए गए है। नई गाईडलाईन के अनुसार औजारों के साथ खाद्य सामग्री व अन्य सामग्री का उपयोग न करने की भी सलाह दी गई है। ग्रामीण विकास विभाग के शासन सचिव के. के. पाठक ने इस संबंध में आदेश जारी किए है।
जिला कलक्टर अंश दीप ने बताया कि महात्मा गांधी नरेगा योजनान्तर्गत व्यक्तिगत लाभ की श्रेणी के कार्यों को 17 मई से पुनः प्रारम्भ करने हेतु निर्देशित किया गया था। साथ ही,

सामुदायिक विकास के कार्यों को भी तुरन्त प्रभाव से प्रारम्भ करने के निर्देश जारी किए गए है। उन्होंने बताया कि व्यक्तिगत लाभ के कार्यों की वर्तमान संख्या को भी यथासंभव अधिकतम सीमा तक बढ़ाया जाना है, ताकि अधिकाधिक श्रमिकों का नियोजन हो सके। यह प्रयास किया जाए, कि लाभार्थी के स्वयं के परिवार सहित उस कार्य पर अधिकतम 10 श्रमिक नियोजित हों।
उन्होंने बताया कि सामुदायिक कार्यों पर भी व्यक्तिगत कार्यों के समान 10 श्रमिकों को ही नियोजित किया जाएगा। ऐसे कार्यस्थल जहां पर सामुदायिक कार्य में एक कार्य पर 20 श्रमिक नियोजित किये जाने है, वहां उन्हें दो भागों में विभक्त कर दिया जाए ताकि दोनों का एक दूसरे से किसी प्रकार संपर्क न रहे। इन दोनों के मध्य कार्य, विश्राम या भोजन के समय भी किसी प्रकार से कोई संपर्क नहीं रहना चाहिए।

नए सामुदायिक विकास के कार्यों के चयन की गति बढ़ानी होगी, ताकि समय पर नए काम लिए जा सकें। इन कार्यों की संख्या इतनी अधिक हो कि जिले में अब तक नियोजित कुल श्रमिकों की संख्या की तुलना में अधिक श्रमिक ही नियोजित किए जा सकें। ताकि, श्रमिकों को उनकी मांग के अनुसार कार्यों का आवंटन किया जा सके।
जिला कलक्टर ने कोविड-19 महामारी से सुरक्षा के लिए गृह विभाग द्वारा जारी प्रतिबन्ध लागू होने की स्थिति में माप एवं भुगतान के संबंध में निर्देश दिए है कि माप एवं भुगतान के संबंध में यदि कहीं बीमारी के कारण तकनीकी स्टाफ की अपरिहार्य कमी है तो मेट द्वारा पखवाड़े में श्रमिकों द्वारा किये गये कार्य का माप मस्टररोल के पृष्ठभाग पर किया जाएगा, जिसका सत्यापन, ग्राम विकास अधिकारी द्वारा होगा। मेट नहीं होने की स्थिति में ग्राम विकास अधिकारी द्वारा ही माप किया जाकर सत्यापन किया जाएगा।

उक्त प्रकार से सत्यापित माप के अनुसार सम्बन्धित तकनीकी सहायक द्वारा एमबी में इन्द्राज किया जाकर भुगतान की कार्यवाही नियमानुसार की जाए, ताकि महात्मा गांधी नरेगा अधिनियम के अनुरुप भुगतान समय पर हो सके। कार्य के पूर्ण होने या अन्तिम भुगतान से पूर्व सक्षम तकनीकी अधिकारी द्वारा पूर्ण माप का भौतिक सत्यापन किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि बिन्दु संख्या 5(अ) अन्तर्गत माप संबंधी नवीन प्रक्रिया, केवल कोविड संक्रमण के व्यापक दौर के लिए है। माप में मेट-ग्राम विकास अधिकारी आधारित व्यवस्था सामान्यतः कच्चे कार्यों के लिए ही मान्य होगी अर्थात् यह तालाब मरम्मत, सुदृढ़ीकरण, पाल निर्माण, सड़क निर्माण में मिट्टी खुदाई कर मिट्टी की सड़क निर्माण कार्य, चारागाह विकास कार्य, पौधारोपण, मिट्टी का चैक डैम निर्माण, नहर डिसिल्टिंग, खाला सुदृढ़ीकरण एवं अपना खेत-अपना काम योजनान्तर्गत मेड़बन्दी,

भूमि समतलीकरण, फार्म पौण्ड, मिट्टी के चैक डैम निर्माण आदि जैसे कार्यों के लिए ही लागू रहेगा। अन्य कार्यो का माप एवं मूल्यांकन पूर्व अनुसार दिए गए निर्देशों के अनुसार ही किया जाएगा। उन्होेंने बताया कि यह व्यवस्था 30 जून तक अपरिहार्य स्थिति में ही कार्यक्रम एवं विकास अधिकारी के आदेशानुसार ही उपयोग में ली जा सकेगी। मेट एवं ग्राम विकास अधिकारी सम्बन्धित तकनीकी सहायक, तकनीकी अधिकारी के मार्गदर्शन में ही माप की कार्यवाही करेंगे।
उन्होंने बताया कि लाईन विभाग यथा जल ग्रहण विकास, वन विभाग, जल संसाधन विभाग, सार्वजनिक निर्माण विभाग इत्यादि की भागीदारी बढ़ाने के लिए स्वीकृत कार्यों पर अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार उपरोक्तानुसार निर्धारित सीमा के अनुरुप ही श्रमिकों का नियोजन किया जाएं एवं यदि कार्य स्वीकृत नहीं हो तो कार्यों की स्वीकृतियां जारी करवाई जाकर श्रमिकों का नियोजन करने की कार्यवाही की जाएं। महात्मा गांधी नरेगा योजनान्तर्गत प्रगतिरत समस्त कार्यों पर विभागीय निर्देशानुसार निरीक्षण पूर्ववत ही किए जाएंगे।

उन्होंने बताया कि किसी भी प्रकार की अनियमितता पाए जाने की स्थिति में विभागीय दिशा निर्देशानुसार कार्यवाही की जाएगी। कोविड-19 की रोकथाम एवं संक्रमण न फैले, इसके लिए अन्य योजनाओं में उपलब्ध संसाधनों से कार्यस्थल पर प्रचार-प्रसार भी कराया जाए। कोविड महामारी से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग एवं गृह विभाग द्वारा जारी कोविड उपयुक्त प्रोटोकॉल की पालना कार्य स्थल पर श्रमिकों के आगमन से लेकर कार्यस्थल से प्रस्थान तक (कार्य के दौरान, विश्राम काल, भोजन एवं उपस्थिति इत्यादि) पूर्ण रुप से सुनिश्चित की जाए। साथ ही कार्यस्थल पर साबुन, पानी, सैनेटाईजर आदि की समुचित व्यवस्था हो व हाथ अच्छी तरह से साबुन से धोने के बाद ही भोजन किया जाए।
जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्वेता चैहान ने कार्यस्थल पर मेट को पूर्व निर्देशों में आवंटित कार्य के अतिरिक्त कोविड उपयुक्त व्यवहार का ध्यान रखने के निर्देश दिए है। उन्होंने बताया कि श्रमिकों द्वारा ग्रुप में एक ही जगह कार्य न कर पृथक-पृथक कार्य न्यूनतम 2 गज की दूरी रखते हुए कराया जाएं।

यथासंभव एक श्रमिक का काम दूसरे से संपर्क में न रहे। श्रमिकों द्वारा एक दूसरे के कार्य औजारों (गेंती, फावड़ा, परात ईत्यादि) के साथ-साथ खाद्य सामग्री पर भी अनावश्यक रुप से हाथ न लगाए जावे अर्थात् एक दूसरे की सामग्री का उपयोग न करें।
उन्होंने बताया कि लंच एवं विश्राम समय में भोजन सामूहिक रुप से एक साथ बैठ कर नहीं करें। इसमे स्थान संबंधी आवश्यक दूरी बरती जाएं। कोई श्रमिक कोविड संभावित लक्षण युक्त हो तो उसे कार्य पर न लगाया जाए। उसके निकट परिजनों को अन्य श्रमिकों से पर्याप्त दूरी रखते हुए कार्य दिया जाए। कार्य स्थल पर बिना मास्क पहने कार्य नहीं कराया जाए। कार्यस्थल पर साबुन, पानी व सैनेटाईजर की समुचित व्यवस्था हो व हाथ अच्छी तरह साबुन से धोने के बाद ही भोजन, पानी ग्रहण किया जाएं। कार्यस्थल पर मेडिकल किट की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित हो एवं मेट के पास ब्लॉक, ग्राम पंचायत स्तर के अधिकारियों व कंट्रोल रुम के आवश्यक टेलीफोन नम्बर उपलब्ध होने चाहिए, ताकि वक्त जरुरत काम में आएं।

विभागीय पूर्व निर्देशों के अनुसरण में टास्क पूरा करते ही श्रमिकों को एक-एक कर अपने निवास स्थान जाने के लिए कहा जाएं। उन्हें कार्यस्थल पर अनावश्यक नहीं रोका जाए।
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