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बीकानेर के चूनगरान मोहल्ले में सात माह की बच्ची स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी नामक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित मिली है. इस बच्ची के इलाज के लिए 16 करोड़ रुपए के इंजेक्शन की सख्त जरूरत है. अगर जल्द ही नूर फातिमा को यह इंजेक्शन नहीं लगाया गया तो नूर की जान को खतरा भी हो सकता है. नूर फातिमा के पिता जीशान अहमद रंग-पेंट करके परिवार का पेट पालता है. नूर फातिमा के चाचा इनायत अली ने कहा की जन्म के तीन महीने बाद जब बेटी नूर फातिमा पैर नहीं उठा पा रही थी तो उन्होंने डॉक्टरों से संपर्क किया।

बेटी को जयपुर में जेके लोन अस्पताल ले गए जहां जांच के बाद फातिमा को एसएमएस टाइप-1 से पीड़ित बताया गया. तब से वह बेटी के इलाज के लिए परेशान हैं. पिता जीशान और मां नर्गिस का कहना है कि वह इतना पैसा नहीं कमा सकते कि नूर फातिमा के लिए 16 करोड़ रुपये का इंजेक्शन खरीद सकें। कोरोना के कारण काम काज भी बंद पड़ा है। उन्होंने बेटी की जान बचने के लिए प्रधानमंत्री सहित भामाशाहो से मदद की गुहार लगाई है। मां नर्गिस ने कहा की इस बीमारी से पीड़ित बच्चों की पहले भी मदद हुई है तो उनकी बेटी की मदद हो जाए तो उसकी जान बच जाए।
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