
PALI SIROHI ONLINE
रितेश अग्रवाल,फालना
खून के रिश्ते हाथ तक नहीं लगाना चाहते, ये गैर होते हुए भी कर रहे हैं दाह संस्कार
अब तक 20 से अधिक लोगों का कर चुके हैं अंतिम संस्कार

खुडाला फालना में किसी ने सोचा नही था कि ऐसे दिन भी आएंगे । जब खून के रिश्ते ही अपनों का दाह संस्कार करने से पीछे हटेंगे तो कुछ लोग दाह संस्कार करने के लिए भी पैसे लेने से नहीं चूकेंगे लेकिन इसी दौर में कुछ ऐसे लोग के साथ हिन्दू सेवा समिति भी हैं। जो ऐसे लोगों का दाह संस्कार कर रहे हैं जिनके अपने उन्हें कोविड के डर के कारण हाथ तक नहीं लगाना चाहते ऐसे ही खुडाला फालना की हिंदू सेवा समिति के सदस्यों ने इस कोरोना काल में कोविड मृतकों का अंतिम संस्कार कर इंसानियत के जिंदा होने का परिचय दे चुके हैं ।
पीपीई किट पहन कर देते हैं मुखाग्नि
हिंदू सेवा समिति खुडाला फालना ने सदस्यों ने मिलकर अब तक 20 से अधिक मृतकों का अंतिम संस्कार किया हैं ,समिति के उपाध्यक्ष कल्पेश शर्मा ने बताया कि सबसे पहले उनके पास उनके ही समाज के एक युवा का मामला आया था जिससे उसकी मौत कोरोना से हो गई थी और उसका परिवार अंतिम संस्कार करने में असमर्थता जता चुका था । शर्मा ने बताया कि समिति के सदस्यों के घर में मां ,बच्चे वह किसी की पत्नी कोई न कोई बीमार है उसके बावजूद भी समिति के सदस्य अंतिम संस्कार करने में आगे रहते हैं। और इस कार्य को करने में उन्हें आत्मिक शांति मिलती है।
शर्मा ने बताया कि अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में उन्हें पूरे 2 से 3 घंटे का समय लगता है वही संस्कार होने के बाद अस्थियां भी परिजनों तक पहुंचाते हैं इस कार्य में नगरपालिका नगरपालिका खुडाला फालना के सफाई कर्मचारी वाल्मीकि समाज के लड़कों का बहुत सहयोग मिल रहा है। बाकी अन्य सामग्री जैसे घी, लकड़ी, कपूर ,नारियल, चंदन आदि की व्यवस्था ओर पीपीई किट, हाथों के ग्लब्स, मास्क, सेनेटाइजर इन सभी का उपयोग करके ही दाह संस्कार किया जाता है।
इस सभी सामग्री की व्यवस्था समिति के भामाशाह द्वारा किया जाता हैं यदि संबंधित परिवार स्वेच्छा से सामग्री देते हैं तो वह लेते हैं बाकी किसी से मांग कर नहीं लेते हैं ।
समिति के सदस्यों में देवेंद्र सिद्धावत, लविश कुमावत, अमित मेहता, रितेश अग्रवाल, कल्पेश शर्मा, नीलेश हरवानी, कुणाल पंवार, ललित मालवीय, कर्मवीर मेवाड़ा, नरेश मालवीय, सुरेश दमामी, जितेंद्र कलावन्त सहित इत्यादि समिति के सदस्यों का सहयोग हमेशा रहता है।
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