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सिरोही जिले में कोरोना वायरस के डर जब लोग घरों से निकलने की हिम्मत नहीं जुटा पाते, तब ऐसे भी जांबाज हैं जो बिना भय के संदिग्धों और मरीजों की सेवा करने में जुटे हैं।
डॉक्टर, सफाई कर्मचारी और पुलिसकर्मी सबसे आगे हैं। कोरोना वायरस से निपटने में इनमें से किसी की भी भूमिका को कम नहीं आंका जा सकता। जिंदगियां बचाने के लिए ये डॉक्टर दिनरात काम पर लगे हुए हैं। कई बार ऐसी भी स्थिति आ जाती है जब ये डॉक्टर संक्रमित के सीधे संपर्क में आ जाते हैं। इसके बावजूद उनका न तो हौसला डिगा है और न ही बेहतर करने में कोई कमी आई है। इस कोरोना महामारी से निपटने के लिए जिला प्रशासन, नगर परिषद, स्वास्थ्य विभाग, पुलिसकर्मी के हजारों कर्मचारी काम पर लगे हैं। क्वारंटाइन होम से लेकर अस्पताल तक कमान संभाले हुए हैं। मास्क और ग्लब्स पहने इन जांबाजों का बस एक ही मकसद है कि कोरोना को हराना।

जिला अस्पताल में कोरोना वायरस के मरीजों का इलाज करने वालों को पर्सनल प्रोटेक्टिव किट दी गई है। लेकिन जो डॉक्टर ओपीडी में बैठे हैं या फिर इमरजेंसी में मरीजों को देख रहे हैं। उनके पास सिर्फ मास्क ही हैं। उन्हें यह जानकारी नहीं होती कि कौन सा मरीज किस बीमारी से पीडि़त है। कई लोग अपनी हिस्ट्री छिपाए हुए हैं। अचानक जब मरीज में लक्षण मिलते हैं तो उन्हें क्वारंटाइन होम में भेजा जाता है।
डॉक्टरों के लिए यह इम्तिहान की घड़ी
डॉ. निहालसिंह उस वक्त जिला अस्पताल के कोविड-19 वॉर्ड में ड्यूटी पर थे जब 49 साल के एक शख़्स को सांस लेने की समस्या के साथ व्हील चेयर पर लाया गया। वह व्यक्ति काफी डरा हुआ था और लगातार एक ही सवाल पूछ रहा था। क्या मैं जिंदा बच जाऊंगा, वो गुहार लगा रहे थे। कृपया मुझे बचा लोए मैं मरना नहीं चाहता। डॉ. निहालसिंह ने भरोसा दिया कि वो बचाने की हरसंभव कोशिश करेंगे। यह दोनों के बीच आखरी बातचीत साबित हुई। मरीज को आक्सीजन पर रखा गया और दो दिन बाद मौत हो गई।

जिला अस्पाल में जब मरीज को लाया उसके बाद के डरावने 30 मिनट को याद करते हुए डॉक्टर निहालसिंह ने बताया। वह मेरा हाथ पकड़े रहा। आंखों में डर भी था और दर्द भी, मैं उस चेहरा कभी नहीं भूल पाऊंगा। मरीजों की देखभाल में लगे एक डॉक्टर ने बताया कि संक्रमण न फैले, यही उनकी ड्यूटी है। वह पीछे नहीं हट सकते। यह तो इम्तिहान की घड़ी है। कई बार उनके पास मास्क भी नहीं होते थे लेकिन तब भी इलाज के लिए कभी पीछे नहीं हटे। कई बार ऐसा होता है कि जांच करते-करते खुद में भी इंफेक्शन हो जाता है। नर्सिंग स्टाफ के साथ भी ऐसा ही है। यह स्टाफ भी सीधे संदिग्धों व मरीजों के संपर्क में होते हैं। कोविड-19 वार्ड में काम कर एक नर्सिंग स्टाफ ने बताया कि रिस्क जरूर रहता है लेकिन यह उनकी ड्यूटी का हिस्सा है।
सफाई कर्मचारी भी किसी से कम नहीं
अस्पतालों के सफाई कर्मचारियों के अलावा नगर परिषद के कर्मचारी भी सीधे ऐसे मरीजों के संपर्क में होते हैं। लेकिन इस समय वे भी दिन रात एक किए हुए हैं। ग्लब्स और मास्क पहने हुए यह कर्मचारी सभी वार्डों, ओपीडी व अन्य स्थानों को सैनिटाइज करने में लगे हुए हैं। सफाई कर्मचारी ने बताया कि उन्हें यह जानकारी है कि कोरोना वायरस के मरीज हैं। लेकिन यह उनका काम है और वे सफाई कर रहे हैं।

पुलिस कर्मचारी भी नहीं हट रहे पीछे
इस बार पुलिस के जवान भी संपर्क में हैं। उन्हें भी कई बार संदिग्धों को लाने के लिए भेजा गया। उन्होंने भी सुरक्षा के नाम पर सिर्फ मास्क ही पहने हुए हैं। पुलिस वालों में थोड़ा भय जरूर है लेकिन ड्यूटी देने से वह भी पीछे नहीं हट रहे हैं। वह अस्पतालों के अलावा प्रभवित क्षेत्रों में भी ड्यूटी दे रहे हैं।
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