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पाली, 07 मई। अस्पतालों के कोरोना वार्ड में प्रतिदिन भेजे जाने वाले इंजेक्शन्स पर अब संबंधित मरीज का नाम, आईपीडी नंबर एवं तिथि अंकित कर नर्सिंग स्टॉफ को दिया जाएगा। साथ ही, इंजेक्शन के मरीज को लगने के बाद इनके आउटर कार्टन समेत खाली वाॅयल को अस्पताल पर नियुक्त नोडल ऑफिसर से वेरिफिकेशन के बाद पूर्णतया नष्ट करवाया जाएगा, ताकि इनकी चोरी या दुरूपयोग पर अंकुश लगाया जा सके।

जिला कलक्टर अंश दीप ने बताया कि अस्पतालों के कोरोना वार्ड में प्रतिदिन भेजे जाने वाले इंजेक्शन्स को लेकर अब नई गाइडलाइन जारी की गई है। उन्होंने बताया कि नई प्रक्रिया के अनुसार अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा मरीजों के अटेन्डेन्ट को व्यक्तिगत रूप से इंजेक्शन खरीदकर लाने के लिए भी अब प्रिक्रिस्पशन नहीं दिया जाएगा। अस्पताल में भर्ती मरीजों के उपयोग के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन की खरीद की प्रक्रिया अब केवल अस्पताल के स्तर पर सम्पादित की जाएगी। इससे कालाबाजारी के साथ इंजेक्शंस के दुरूपयोग पर भी रोक लगेगी।
उन्होंने बताया कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा के निर्देश पर अस्पतालों में दवाओं की कालाबाजारी रोकने व निर्धारित मूल्य से अधिक वसूली को जांचने के लिए बनाई टीम ने रेमडेसिविर इंजेक्शन के इस्तेमाल के लिए विशेष दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
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